अस्सलाम्म ओ अलैकुम, प्यारी बहनों और भाइयों.. अल्लाह ने हमें पाक ज़िन्दगी दी है और हम सभी को यही चाहिए कि मौ’त तक इसे पाक बनाए रखें. हम सभी अपनी ज़िन्दगी के किसी मरहले पर कुछ तो ग़लती कर जाते हैं लेकिन ऐसा अगर हो तो आपको फ़ौरन तौबा करना चाहिए और आइन्दा कभी भी वो हरकत दोहरानी नहीं चाहिए. हम हर रोज़ आपके लिए दीन की बात लेकर आते हैं,इसी सीरीज़ में हम एक बार फिर हाज़िर हैं दीन की प्यारी बातें लेकर.
दोस्तों आज हम आपको एक बहुत ही प्यारी हदीस बताने जा रहे हैं. सही बुख़ारी के वॉल्यूम नम्बर 2, 1442 में आया है कि अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फफ़माया कोई दिन ऐसा नही जाता कि जब बंदे सुबह को उठते हैं तो दो फ़रिश्ते आसमान से ना उतरते हो (यानी हर रोज़ दो फरिश्ते सुबह को आसमान से उतरते हैं). उनमें से एक फरिश्ता ये कहता है की ए अल्लाह (तेरी राह में) ख़र्च करने वाले को इसका बदला दे और दूसरा कहता है की ए अल्लाह बखील (कंजूस) को तबाह कर दे (सही बुखारी, जिल्द 2, 1442)
इस हदीस से हम इस नसीहत को समझ सकते हैं कि इंसान को ज़रूरी हिसाब पर पैसे ख़र्च करने चाहिएँ. हालाँकि ये बात भी इस्लाम में बार-बार बतायी गई है कि किसी तरह की फ़िज़ूल ख़र्ची से बचें. अल्लाह ने हमें इतना अच्छा रास्ता दिखाया है कि हम उस पर चलें तो हमें किसी किस्म की कोई समस्या न रहेगी लेकिन हम अक्सर दुनियावी उलझनों में उलझ कर अपनी दुनिया और आख़िरत ख़राब कर जाते हैं.दोस्तों, इस हदीस को समझते हुए आप सोचिये कि कहीं आप बिला-वजह कंजूस तो नहीं, अगर हैं तो कोशिश करें कि ज़रूरी जगह पैसा ख़र्च करें जबकि अगर वाजिब पैसे ख़र्च करते हैं तो कोई बात नहीं है. चलते चलते हम आपसे गुज़ारिश करेंगे कि आप दीन के बताये नेक रास्ते पर चलें. इंशाअल्लाह फिर मुलाक़ात होगी.