अस्सलाम ओ अलैकुम दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि तरह तरह की बातें हम सुनते रहते हैं. मसलन कभी कोई बिल्ली रास्ता काट जाए तो लोग कहते हैं ये शुभ नहीं, कुछ इसी तरह की बात आँख के फड़कने पर भी लोग करते हैं. जब भी कोई आँख फड़कती है तो लोग सोचने लगते हैं कि हमारे साथ कुछ बुरा होने वाला है. कुछ तो यूँ है कि कहते हैं कि दायीं फड़के तो अच्छा होता है और बायीं फड़के तो बुरा. हम आपको बताने जा रहे हैं आँख के फड़कने के बारे में और इससे क्या होता है.
इस्लाम में वहम की सख्त मनाही है और आँख फड़कने से कुछ अच्छा या बुरा होता है, ये भी एक वहम ही है.इस बात में किसी तरह की कोई सच्चाई नहीं है कि आँख के फड़कने से कुछ अच्छा या बुरा होता है. उलेमा बताते हैं कि इंसान को इस तरह के वहमों से बचना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि नेक रास्ते पर चले. उलेमा कहते हैं कि किसी की आँख फड़के या न फड़के उसके साथ अच्छा होना होगा तो होगा, बुरा होना होगा तो होगा. इस बात पर अल्लाह के सिवा किसी का कोई ज़ोर नहीं है.
उलेमा फ़रमाते हैं कि नबी ए करीम सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि अगर आप की आँख फड़के तो आपको सबसे पहले पहले आऊज़ बिल्लाहि मिनाशशैतानिर रजीम पढ़ना चाहिए. उलेमा बताते हैं कि इसको पढ़ने के बाद आपकी जो सी भी आंख फड़क रही हो उस तरफ के कंधे पर फूंक मार दे जैसे अगर दाएं तरफ की आंख फड़क रही है तो दाएं तरफ के कंधे पर फूक मार दे और अगर बाई तरफ की आंख फड़क रही है तो बाएं तरफ के कंधे पर फूक मार दे और इसको करने के बाद आप सूरह फलक और सूरह नास पढ़ ले इससे यह होगा कि जो शैतान आपकी आंख को फड़का रहा है वह आपकी आंख फड़काना बंद कर देगा.
दोस्तों इस तरह से आपकी मुश्किल आसान हो जायेगी और आपकी आँख का फड़कना बंद हो जाएगा. अल्लाह के बताये नेक रास्ते पर हम सभी को चलना चाहिए न कि हम किसी तरह के दुनियावी वहम में पड़ जाएँ. दोस्तों, हम इसी बात के साथ आप से विदा लेते हैं, उम्मीद है कि आपको हमारी पोस्ट पसंद आयी होगी. हमें कमेंट बॉक्स में बताएं और इसे शेयर भी करें.