कुर्सी में बैठ’कर नमा’ज़ पढ़’ना जा’यज़ है या न’हीं, नमाज़ पढ़ने….

अस्सलाम वालेकुम मेरे प्यारे भाइयों और बहनों मेरे भाइयों आज जिस बारे में हम बात करने जा रहे हैं उसके बारे में बहुत दिनों से बहुत सारे लोग सवाल पूछना चाहते हैं और मैं खुद भी बताना चाहता था अक्सर करके मस्जिद में लोग कुर्सी लेकर नमाज पढ़ने आ जाते हैं यह शरीयत से कितना सही है या शरीयत में जायज है या नहीं है? इसी सिलसिले में एक भाई ने मुझे खत लिखा और कहा कि मुझे बहुत दिनों से तकरीबन 1 साल से घुटने में दर्द है इस वजह से मैं अक्सर फर्ज नमाज कुर्सी पर बैठ कर पढ़ता हूं कुर्सी पर बैठ कर नमाज पढ़ने में मुझे कोई तकलीफ नहीं होती है तो क्या यह सही है? क्या मेरा कुर्सी पर नमाज़ पढ़ना सही है ?इस बारे में कुछ बताएं.

मेरे भाई मैं यह कहना चाहूंगा कि अगर आपको कोई तकलीफ है तो आप कयाम को मुख्तसर कर दें ,सूरह फातिहा को मुखतसर कर दें आप छोटी सी सूरह इन्ना अतैना कल कौसर पढ़कर रुकू कर लिया करें ।ताकि आपका कयाम मुख्तसर हो जाए। अगर यह भी मुश्किल हो रहा है तब आप नमाज बैठ कर पढ़ सकते हैं। नफिल आप बैठ कर पढ़ सकते हैं सुन्नते मुकदा में दो कॉल है बेहतर तो यह होगा कि खड़े होकर पड़े लेकिन अगर बैठकर पढ़ते हैं तो भी वह अदा हो जाएगी मगर फर्ज नमाज़ की बात करें तो जो मैंने बताया है की छोटी सी आयत पढ़कर फिर रुकू कर ले अगर इसमें भी आपको तकलीफ है तब आप बैठ कर नमाज़ पढ़ें लेकिन कुर्सी पर बैठ कर नमाज पढ़ना यह खिलाफे सुन्नत है.

नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम जब बीमार हुआ करते थे तब जमीन पर बैठ कर नमाज पढ़ते थे अगर आपके घुटनों में तकलीफ है पैर मोड़ना मुश्किल है तब आप पैर खोल कर किबला की तरफ कर ले ऐसी सूरत में किबला की तरफ पैर करना कोई गुनाह नहीं है ।बहुत सारे लोग कहते हैं कि हमें कमर में तकलीफ है या पीठ में तकलीफ है तो हम टेक लगाकर नमाज पढ़ना चाहते हैं तो ऐसे लोग ऐसी कुर्सी का इस्तेमाल करें जो जमीन पर रखी हो जिसमें पाए ना लगे हो.

ऐसी कुर्सीयां अब मार्केट में आने लगी हैं लेकिन अगर बहुत मजबूरी है आप बिल्कुल नमाज नहीं पढ़ पा रहे हैं झुककर या बैठकर तब आप इन कुर्सियों का इस्तेमाल कर सकते हैं ।कोशिश करनी चाहिए कि आप मस्जिद में कुर्सी का इस्तेमाल ना करें क्योंकि इसके बहुत सारे नुकसान हैं। पहला नुकसान तो यह है कि मस्जिद चर्च की तरह लगने लगती है। अगर आपने कभी ईसाइयों का चर्च देखा होगा तो वहां पर कुर्सियां और डेस्क लगी होती है जिस पर बैठकर ईसाई अपनी इबादत करते हैं ।मेरे भाइयों इस्लाम हमें में यह नहीं सिखाया गया है कि मस्जिदों की तुलना चर्च से की जाए या किसी अलग मजहब के लोगों की इबादत गाह से की जाए.

कुर्सी पर नमाज पढ़ने का दूसरा नुकसान यह है कि सफ बनने में परेशानी होती है ।कुर्सी पर बैठने की वजह से सफ़ टेढ़ी हो जाती हैं। तीसरा नुकसान यह है कि जब आप जमीन पर बैठकर सजदा करते हैं तब वह सजदा सुन्नत के मुताबिक होता है लेकिन जब आप कुर्सी पर बैठकर सजदा करेंगे तब आपका सजदा सुन्नत से दूर हो जाएगा.

चौथा नुकसान यह है कि बहुत सारे लोग कहते हैं कि जब हम जमीन पर नमाज़ पढ़ते हैं तब भी हम इशारों से सजदा करते हैं ऐसी हालत में हमारा सर कुछ हद तक जमीन तक पहुंच जाता है लेकिन जब आप कुर्सी पर बैठकर इशारे से सजदा करते हैं तो आपका सर जमीन से बहुत दूर होता है.पांचवा नुकसान यह है कि मस्जिद में कुर्सियों की तादाद ज्यादा होने की वजह से ऐसे लोगों को मस्जिद में कोने की जगह मिलती है और कुर्सी पर नमाज पढ़ने से मस्जिद की बेअदबी भी होती है.

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