Hazrat Ali ne bataya dost ya bhai ? ~ दोस्तों हम अपने इस हिस्से में विभिन्न धर्मो के बारे में बताते है.आज हम आपको मुसलमानों के चौथे खलीफा हज़रात अली के कई ऐसे कथन बताने जा रहे है जिसे मुस्लिम को ही नही बल्कि सभी को सुनना और अमल करना चाहिए.आप को बता दे इस्लाम धर्म में हजरत अली का मर्तबा बहुत ऊँचा है.मुस्लिमो में उनके कथन पर ज्यादा से ज्यादा अमल किया जाता है.आइये जानते है हजरत अली ने क्या फरमाया.
दोस्त और भाई में क्या फर्क होता है-किसी ने हजरत अली से पुछा. दोस्त और भाई में क्या फर्क है?हजरत अली ने फरमाया “भाई सोना है और दोस्त हीरा है” उस आदमी ने कहा “आप ने भाई को कम कीमतऔर दोस्त को ज्यादा कीमती चीज़ से क्यू तशबीह दी?” तो हजरत अली ने फरमाया “सोनेमें दरार आ जाये तोउस को पिघला कर बिलकुल पहले जैसा बनाया जा सकता है. जब की हीरे में एक दरार भी आ जाये तो वोकभी भी पहले जैसा नही बन सकता.
जिनकी माँ नही होती है उनका-किसी ने हजरत अली रज़ी.से पूछा के जिनकी माँ नही होती उनके बच्चों को दुआ कौन देता है?आप फरमाया के कोई झील अगर सुख भी जाए तो मिट्टी से नमी नही जाती इसी तरह माँ के इन्तेकाल के बाद भी अपनी औलाद को दुआ देती रहती है.
लिबास के बारे में हजरत अली बोले-हजरत अली लिबास और आने वाले वक़्त को लेकर कहा-एक ज़माना ऐसा भी आएगा कि लोग अपने रब को भुल जाएंगे,लिबास बहुत क़ीमती पहन कर बज़ार में अकड़ कर चलेंगे और इस बात से बेखबर होंगे के उसी बाज़ार में उन का कफन मौजूद है.
अगर किसी के बारे मे जानना चाहते हो तो पता करो के वह शख्स किसके साथ उठता बैठता है इल्म की वजह से दोस्तों में इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी) होता है दौलत की वजह से दुशमनों में इज़ाफ़ा होता है.सब्र की इमान से निस्बत-सब्र को ईमान से वो ही निस्बत है जो सिर को जिस्म से है.दौलत,हुक़ूमत और मुसीबत में आदमी के अक्ल का इम्तेहान होता है कि आदमी सब्र करता है या गलत क़दम उठता है.सब्र एक ऐसी सवारी है जो सवार को अभी गिरने नहीं देती।ऐसा बोहोत कम होता है के जल्दबाज़ नुकसान न उठाये और ऐसा हो ही नही सकता के सब्र करने वाला नाक़ाम हो.सब्र–इमान की बुनियाद,सखावत (दरियादिली)–इन्सान की खूबसूरती,सच्चाई–हक की ज़बान,नर्मी कामयाबी की कुंजी और मौत–एक बेखबर साथी है. ~ Hazrat Ali ne bataya dost ya bhai?