इ’स्ला’म में अ’ज़ान की काफी अहमियत होती है। खु’दा अ’ज़ान के जरिए अपने बन्दों को अपनी तरफ बुलाया है। अ’ज़ान एक दिन में पांच वक्त होता है। इस अ’ज़ान के जरिए खु’दा अपने बन्दों को सफ लता की तरफ बुलाया है। खु’दा ने ऐसे बहुत से हुक्म दिया जिसे अज़ान के वक्त नहीं करना चाहिए लेकिन हमसे बहुत से लोगों को इसकी जान कारी नही है लेकिन दर असल में लोगों को इसकी जान कारी लेनी चाहिए।
साथ ही साथ लोगों को इसकी एहतराम भी करनी चाहिए। अ’ज़ान में अ’ल्ला’ह अपने बन्दों को अपनी तरफ बुलाता है इस के मायने होता है अ’ल्ला’ह अ’ज़ान के ज़रिए लोगों को ये बताता है कि अ’ल्ला’ह एक है और सर्व शक्ति मान है उसके सिवा कोई इबा दत के लायक नहीं। और न’बी खु’दा के आखरी रसु’ल है। अ’ल्ला’ह अ’ज़ान के जरिए अपने बन्दो को भलाई वा तरक्की की तरफ बुलाता है।
इसलिए हमें अ’ज़ा’न का एहत राम करना चाहिए। ऐसे बहुत से काम है जो अ’ज़ान के समय करना नहीं चाहिए उनमें से सबसे पहला काम में है कि जैसे ही अ’ज़ान सुने अपना कारो बार छोड़ कर फौरन ही न’माज़ की तरफ दौड़ना चाहिए।ख़ास तौर पर जु’मे की नमाज़ के वक्त। जब भी अ’ज़ान हो दुनि यावी सभी काम छोड़ कर अ’जान के साथ साथ दोह राना चाहिए। इसके अलावा जब भी अ’ज़ान हो उस समय बाथरूम जाने से गुरेज़ करना चाहिए।
अ’ल्ला’ह अ’ज़ान दोहराने वाले को दस ने किया के साथ साथ बहुत सारी हरकतें देता है। इस लिए हमें चाहिए कि अ’ज़ान का एहत राम करें और जहां तक हो सके हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमें अ’ज़ान के समय परहेज़ करनी चाहिए। अक्सर हम अज़ान को उतनी अहमियत नहीं देते हैं लेकिन इसकी अहमियत भी नमा’ज़ से कम नहीं है। इसलिए हमे इसका भी ख्याल रखना चाहिए।