अस्सलाम ओ अलैकुम दोस्तों, हम हर रोज़ दीन की बातें आपसे साझा करते हैं. एक बार फिर हम हाज़िर हैं दीन की बातें लेकर. दोस्तों आज हम आपको तीन हदीसें बताएँगे. इसके पहले हम आपसे गुज़ारिश करेंगे कि ठण्ड के मौसम में अगर आप किसी ग़रीब को गर्म कपड़े दे सकते हैं तो ये बहुत अच्छा होगा. अपने आसपास कोई परेशान हाल इंसान आपको नज़र आये तो जो गर्म कपड़े आपने इस्तेमाल करने बंद कर दिए हैं वो उसे दें.
1) हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० अ० से रिवायत है कि रसुल अल्लाह स०अ ० ने एक लश्कर भेजा जो बहुत ही जल्द बहुत सारा माले ग़नीमत लेकर वापस लौट आया।एक सहाबी रज़ि अ० ने अर्ज़ किया : या रसूल अल्लाह स० अ० हमने कोई ऐसा लश्कर नहीं देखा जो इतनी जल्दी इतना सारा माले ग़नीमत लेकर वापस लौट आया हो। रसूल अल्लाह स० अ० ने इरशाद फ़रमाया क्या मै तुम्हें इससे भी कम वक़्त मे इस माल से बहुत ज़्यादा ग़नीमत कमाने वाला शख़्स न बताऊँ। यह वह शख़्स है जो अपने घर से अच्छी तरह वज़ू करके मस्जिद जाता है ,फज्र की नमाज़ पढ़ता है ,फिर(सूरज निकलने के बाद) इश़राक की नमाज़ पढ़ता है तो यह बहुत थोड़े वक़्त मे बहुत ज़्यादा नफ़ा कमाने वाला है।
2) हज़रत अबू दरदा रज़ि० अ० से रिवायत हैं कि रसूल अल्लाह स० अ० ने इरशाद फ़रमाया कि जो शख़्स चाश्त के दो नफ़िल पढ़ता है वह अल्लाह तआला की इबादत से ग़ाफ़िल रहने वालों मे शुमार नहीं होता, जो चार नफ़िल पढ़ता है वह इबादत गुज़ारों मे लिखा जाता है। जो छ: नफ़िल पढ़ता है उसके उस दिन के कामों मे मदद की जाती है। जो आठ नफ़िल पढ़ता है अल्लाह तआला उसे फ़रमा बरदारों मे लिख देते हैं और जो बारह नफ़िल पढ़ता है अल्लाह तआला उसके लिए जन्नत मे महल बना देते हैं।
हर दिन और रात मे अल्लाह तआला अपने बंदों पर सदक़ा और अहसान फ़रमाते रहते हैं और अल्लाह तआला का अपने बंदे पर सबसे बड़ा अहसान यह होता है कि उसे अपने ज़िक्र की तौफ़ीक़ अता फ़रमा दे। (हवाला : तिबरानी) 3) हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अ० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह स० अ० ने इरशाद फ़रमाया जो शख़स मग़रिब की नमाज़ के बाद छ: रकअतें इस तरह पढ़ता है कि इनके दरम्यान कोई फ़िज़ूल बात नहीं करता तो उसे बारह साल की इबादत के बराबर सवाब मिलता है। ( हवाला : तिर्मिज़ी)