इस खूबसूरत म’स्जि’द को बनाने में मुहम्मद साहब ने की थी मदद, अब दु’नि’या की सबसे…

इस्लाम के एलान के 12 साल बाद पैगम्बर मोहम्मद ने मक्का छोड़कर मदीना जाने का फैसला किया. जब वह मदीना जा रहे थे तब मदीना से पहले मुसलमानों की पहली मस्जिद की बुनियाद पड़ी. जिस मस्जिद का नाम मस्जिद-ए-कुबा है. यानि मुसलमानों को अपनी पहली मस्जिद के लिए करीब 12 साल इंतजार करना पड़े. इस मस्जिद की तामीर मुहम्मद ﷺ साहब के प्रवास यात्रा के ठहरने के दौरान किया गया. हुआ ये था कि पैगम्बर मोहम्मद साहब जब मक्का से मदीना रहने के लिए आए थे तो वो मदीना से तीन किलोमीटर दूर कुबा नाम के जगह पर रुके थे. उसी के दौरान मोहम्मद साहब ने अपने साथियो के साथ मस्जिद की तामीर शुरू कि. ऐसा कहा जाता है कि कुबा मस्जिद के तामीर में उन्होंने खुद भी हाथ बटाया था.

इस्लाम में दूसरी मस्जिद जो पैगंबर मोहम्मद के दौर में बनी उसका नाम ‘मस्जिद ए नबवी’ है, जो मदीना शहर में है. यहां ये बात ध्यान देने की है कि मक्का में काबा को मुसलमान अपनी पहली मस्जिद मानते हैं, और वो ये मानते हैं कि इस मस्जिद की तामीर दुनिया के पहले शख्स पैगंबर आदम ने किया था. इस मस्जिक को पैगंबर इब्राहीम और इस्माइल ने दोबारा तामीर की.

कुबा मस्जिद अपनी बनावट के लिए काफी मशहूर है. इस मस्जिद में नमाज पढ़ने वालों के लिए एक बड़ा सा प्रार्थना सभागार है. मस्जिद की खास बात ये है कि इसके एक भाग को सिर्फ महिलाओं के लिए रिजर्व रखा गया है. मस्जिद में जाने के लिए 7 बड़े और 12 छोटे दरवाज़े बनाए गए हैं. इससे एक साथ मस्जिद में कई लोगों को जाने- आने में कोई मुश्किल नहीं होती है.


वक़्त के साथ मस्जिद में कई बार खूबसूरती का काम किया गया है लेकिन कभी भी मस्जिद की पुरानी बनावट से छेड़छाड़ नहीं की गई है. मस्जिद का उजला गुंबद आज भी वैसा ही जैसा की इसे शुरुआत में बनाया गया था. कुबा मस्जिद अपने भव्य रूप में बहुत ही आकर्षक है और इसकी सुंदरता देखते ही बनती है. मस्जिद इतना भव्य है कि इसमें 56 गुंबद और चार मीनार हैं. कुबा मस्जिद के विशालकाय होने का अंदाजा कोई इसी से लगा सकता है कि इसके अंदर 20 हजार से अधिक लोग एक साथ बैठकर अल्लाह ताला से प्रार्थना कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *