अस्सलामोअलैकुम दोस्तो आज हम आपको बताने जा रहे क़ुरान की उस सूरह के बारे में जिसको पढ़ने के बहुत से अलग फायदे लेकिन इस सूरह को जितनी बार पढोगे उतना ही अलग अलग फायदा है, जी दोस्तो में अब आपको बताने जा रहा हूं वो क़ुरान की सबसे अज़ीम सूरह कोई और नही बल्कि सूरह क़ौसर है जी भाइयो सूरह क़ौसर एक ऐसे सूरह है जिसको पढ़ने के बहुत फायदे है,अब आपको बताते है सूरह क़ौसर के फायदे-
अब आपको इस सूरह क़ौसर का वज़ीफा बताने जा रहे है ,जो सुबह उठकर बासी मुँह करना है,आइये अब इस वज़ीफ़े के बारे में आपको बताते है ये वज़ीफा कैसे करना है बुज़रगने दीन फरमाते है कि इस अमल को करने से इंशाअल्लाह आपके पास इतना पैसा आ जायेगा,इतना माले दौलत आ जायेगी की आप और लोगो में तक़सीम करेंगे, अगर आप गरीब है या आपके घर की माली हालत सही नही है तो इस अमल से आपके घर में खैरू बरकत इतना ज्यादा होगा कि आप खुद यकीन ना कर पाएंगे.
इस अमल को करने से एक फायदा और होगा जो आपके एक अमल करने से आपके आस पास जितने भी घर है सब में बरकत होगी,सबसे बड़ी बात ये है कि अमल बहुत से भाइयो,और बहनों ने आज़माया है ,इस अमल को करने का तरीका अब आपको बताते है, सबसे पहले जब आप सो कर उठे तो खाली पेट यानी निहार मुह 21 बार दरूद इब्राहीमी ज़रूर पढ़े, इसके बाद आपको सूरह क़ौसर 141 बार पढ़ना है,जब ये पढ़ ले तो इसके बाद अल्लाह ताला का शिफ़ाति नाम या रज़्ज़ाको ,या रज़्ज़ाको,या रज़्ज़ाको,पढ़े,
अये रोज़ी देने वाली ज़ात याद रहे जब आप या रज़्ज़ाको का विरद कर रहे हो तो आपको अपनी आंखें बंद रखनी है और आपकी जो भी परेशानिया है जो भी मसायल है या आप कर्ज़ के बूझताले लदे है तो ये सारी बात अपने ज़ेहन में रख कर अल्लाह ताला का शिफ़ाति नाम या रज़्ज़ाको या रज़्ज़ाको पढ़ना है इसको आपको 100 मर्तबा पढ़ना है अब आपको इसकी तरतीब बताते है, सबसे पहले आपको निहार मुँह मतलब सुबह उठते ही 21 मर्तबा दरूद इब्राहीमी, 141 मर्तबा सूरह क़ौसर, 100 मर्तबा या रज़्ज़ाको, पढ़ कर आखिर में 21 मर्तबा दरूद पढ़ कर इस अमल को पूरा करना है लेकिन याद रहे इस अमल को बांसी मुँह ही करना है ,इस अमल को वज़ू के साथ या बिना वज़ू के भी कर सकते है,ये अमल 7 दिन लगातार करना है इसका रिजल्ट आप खुद ही सामने देखेंगे, लेकिन दोस्तों ये अमल आपको सच्चे मन साफ दिल से करना है
अगर आपको मेरा वताया हुआ वज़ीफा अच्छा लगा तो लाइक शेयर और कॉमेंट कीजिएगा अगर कोई गलती हुई हो लिखने में अल्लाह माफ कर ,आमीन