पर्दा इज्जत है बेइज्जती नहीं। इस्लाम ने औरतों को पर्दें में रखकर औरतों की इज्जत और बढ़ाई है, जैसे दुनिया की तमाम किताबें खुली रहती है मगर कुरआन शरीफ पर हमेशा कवर चढ़ा होता है, ये कुरआन शरीफ की इज्जत है। इसी तरह तमाम दुनिया की मस्जिद बेपर्दा है,मगर खाना-ए- काबा पर कवर चढ़ा कर उसको पर्दे में रखा गया, ये उसकी इज्जत है। कुरआन शरीफ और खाना-ए-काबा के बारे में तमाम दुनिया जानती है कि उनको पर्दे में रखकर उनकी इज्जत व अज़मत का एलान किया गया है।
इसी तरह मुसलमान औरतों को पर्दे में रखकर अल्लाह व रसुल की तरफ से इस बात का एलान किया गया है कि दुनिया-ए-आलम की तमाम औरतों में मुस्लिम औरत अफज़ल व आला है। अल्लाह व रसुल (सलल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने इन्सानी फितरत के तकाज़ों के मुताबिक बुरे कामों से बचने के लिए औरतों को परदे में रखने का हुक्म दिया। परदे की एहमियत कुरआन मजीद और हदीसों से साबित है जिसमें हुक्म फरमाया गया है कि औरतें घर के अन्दर रहे। दुनिया की बेहयाई व बेपरदगी की रस्म को छोड़ दे। बन संवर कर बाजा़रों, मेलों, थियेटरों में जाना छोड़ दे। जरुरत पड़ने पर बाहर निकले भी तो परदे में निकले।
हदीस में रसुलअल्लाह सलल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया औरतें जिस वक्त बेपर्दा होकर बाहर निकलती है, तो शैतान की बुरी नज़र उस पर पड़ती है। सजसंवर कर बेपर्दा होकर निकलने वाली औरतें उस अन्धेरे के बराबर है जिसमें रोशनी ही न हो।
हदीस में ऐसी औरतों को निहायत बद्चलन बताया गया है जो खुशबू लगाकर मर्दों के सामने से गुजरे। आज हम चारों तरफ देखते है बाजारों, सिनेमाघरों में, क्लबों में, होटलों में हर जगह मुस्लिम औरतें बेपर्दा सजसंवर कर घुमती हैं, और अपने आपको मोर्डन कहती हैं, वो खुद सोच सकती है कि वो कितनी बड़ी गुनाहगार है।
इस्लाम में पर्दे का हुक्म सिर्फ औरतों के लिए ही नहीं बल्कि मर्दों के लिए भी हैं। जैसा कि कुरान ए पाक में लिखा है. कुरान की इस आयत के जरिये अल्लाह (ईश्वर) मुसलमान मर्दों को यह हुक्म दे रहा है कि वे अपनी नजरें नीची रखे और अपनी शर्मगाहो की हिफाजत करें क्योंकि इसी में उनकी भलाई हैं। अब कुछ लोग यह सोच रहे होंगे कि पुरुष के नजर नीचे रखने से पर्दा कैसे हुआ ? तो आइए दोस्तों, इस सवाल का जवाब हम लोग विज्ञान से ही पूछ लेते हैं। क्योंकि कुछ लोग इस्लाम में बताई गई बातों पर विश्वास नहीं करते हैं। हालांकि विज्ञान में जो भी बातें आज बताई जा रही हैं वह इस्लाम ने 15 सौ साल पहले ही बता दिया था।
अमेरिका की एक प्रसिद्ध मानव विज्ञानी जिनका नाम हेलेन फिशर है, वो पिछले 30 सालों से यूके यूनिवर्सिटी में विज्ञान की प्रोफेसर हैं और मानव व्यवहार पर अध्ययन कर रही हैं। अपने अध्ययन के अनुसार उन्होंने यह बताया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कुछ ऐसे हॉर्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर पाए जाते हैं। जो बिना पर्दे वाली महिला को देख कर सक्रिय हो जाते हैं। ऐसा केवल मनुष्य में ही नहीं बल्कि पक्षी और जानवरों में भी देखा गया है कि वे मादा को आकर्षित करने के लिए हिंसक हो जाते हैं। हेलन के इस तर्क से यह बात साफ हो जाती है कि महिलाओं का पर्दा करना और मर्दों का नजरों को झुका कर चलना सामाजिक कसौटी पर खरा उतरता है।