Turkey President Election तुर्की में 14 मई को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे। लेकिन इस चुनाव के नतीजों ने सबको हैरान हर दिया था। क्योंकि पिछले कई सालों से राष्ट्रपति पद पर काबिज रेसेप तैयप एर्दोगन को इस बार बहुमत हासिल नहीं हुई थी। सिर्फ एर्दोगन को ही नहीं बल्कि किसी और पार्टी के भी कैंडिडेट को चुनाव में बहुमत हासिल नहीं हुई, जिसके बाद फिर एक बार चुनाव करवाने का आदेश दिया गया। और इस बार चुनाव सिर्फ उन दो कैंडिडेट के बीच होना था जिन्होंने पहले चुनाव में सबसे अधिक वोट हासिल किए थे।
इनमें पहला नाम एर्दोगन का था और दूसरा तुर्किये के गांधी कहे जाने वाले कमाल केलिकदारोग्लू का। एर्दोगन को जहां 49.4% वोट मिले वहीं केलिकदारोग्लू ने 45.0% वोट हासिल किए। दोनों के बीच कड़ी टक्कर को देखने के बाद ऐसा लगा कि अब तुर्की से एर्दोगन की सरकार चली जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। बताते चले कि रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति पद के लिए फिर चुनाव हुआ और इसमें एर्दोगन ने जीत हासिल कर ली।
इस चुनाव में जीत हासिल कर वह फिर एक बार तुर्की के राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं। इस बार चुनाव में एर्दोगन को कुल 52.1% वोट मिले, वहीं विपक्षी नेता कमाल केलिकदारोग्लू को 47.9 % वोट हासिल हुए। अब वह 2028 तक देश के राष्ट्रपति रहने वाले हैं। आपको बता दें कि वह साल 2003 से तुर्की की सत्ता पर काबिज हैं। 2003 से लेकर 2014 तक वह देश के प्रधानमंत्री रहे और फिर उन्होंने ही साल 2016 में तुर्की में रेफरेंडम करवाने के बाद प्रेसिडेंशियल सिस्टम लागू करवा दिया।
देश में हुए इस बड़े बदलाव के बाद से अब तक वह देश के राष्ट्रपति बने हुए हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि इस चुनाव से करीब 3 महीने पहले ही तुर्की में भूकंप के कारण 50 हजार से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई और देश को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा। इस सबके बावजूद भी देश की जनता ने एर्दोगन को ही देश का राष्ट्रपति चुना।
इसके साथ ही आपको बता दें कि तुर्किये की करेंसी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर है और देश में महंगाई 40% से ज्यादा हो गई है। इन सबके जिम्मेदार होने के बावजूद भी वह आज राष्ट्रपति पद पर काबिज हैं। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इस्तानबुल में अपने घर की बालकनी से 3 लाख से ज्यादा लोगों संबोधित किया और कहा कि “ये पूरे तुर्किये की जीत है।” Turkey President Election