उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसा छात्रों के लिए बड़ा निर्णय लिया है. एक ख़बर के मुताबिक़ राज्य सरकार 558 अनुदानित मदरसाें के छात्र-छात्राओं को एनसीईआरटी की किताबें खरीदने के लिए उनके अभिभावकों के खाते में धनराशि भेजेगी। इसके पहले सरकार ख़ुद किताबें ख़रीदती थी और मदरसों में पहुंचाती थी. हालाँकि अब ये सिस्टम बदल दिया गया है.
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने विभाग के अधिकारियों को इसके निर्देश जारी कर दिए। प्रत्येक अभिभावक को कितनी धनराशि भेजी जाएगी इस पर मंथन चल रहा है। विधान भवन स्थित कार्यालय कक्ष में मदरसा शिक्षा को बेहतर करने व मदरसों के सर्वे के संबंध में समीक्षा करने के लिए बुलाई गई बैठक में मंत्री ने कहा कि किताबों के लिए धनराशि अभिभावकों के खाते में सीधे भेजी जाए।
यह निर्णय मदरसा शिक्षा को बेहतर बनाने एवं उसके आधुनिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी जिलों से यह कार्य समय पर पूरा कर लिया जाए। सर्वे को लेकर किसी प्रकार का भ्रम नहीं होना चाहिए।
उन्होंने इस बाबत कहा कि सर्वे कार्य केवल गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की सूचना संकलित करना है। यह किसी प्रकार की जांच नहीं है। मंत्री ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का फिर से सर्वेक्षण नहीं किया जा रहा है बल्कि राजस्व अभिलेखों को दुरुस्त किया जा रहा है। मदरसे के कुछ प्रतिभाशाली छात्र जिन्होंने नीट परीक्षा उत्तीर्ण की है, उन्हें सम्मानित किया जाए ताकि अन्य बच्चों में उच्च शिक्षा के प्रति जागरूकता उत्पन्न हो।
उन्होंने कहा कि मदरसों के छात्र-छात्राएं भी डाक्टर, इंजीनियर, आइएएस व अन्य उच्च पदों पर चयनित हों यह सरकार की मंशा है। बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस गर्ग, विशेष सचिव आनन्द कुमार, अनिल कुमार, निदेशक इन्दुमति, मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डा. इफ्तिखार अहमद जावेद, रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह एवं उपसचिव शकील अहमद सिद्दीकी उपस्थित थे।