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पटना: बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार कई बार भूचाल ला चुके हैं. सबसे पहले तो तब लाये थे जब वो भाजपा के साथ चले गए थे. हालाँकि तब ये कहा गया कि अटल बिहारी बाजपाई के नेतृत्व में भाजपा अलग है. फिर जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के दावेदार बने तो नीतीश कुमार ने NDA से अलग होने का फ़ैसला किया.

2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा चुनाव जीत गई और 2015 में लालू-नीतीश के महागठबंधन ने बिहार में भाजपा को हरा दिया. 2017 में नीतीश कुमार ने लालू यादव से गठबंधन तोड़ लिया और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली. 2017 के बाद ऐसा लगा कि नीतीश कुमार अब भाजपा के साथ ही गठबंधन में रहेंगे. 2020 का विधानसभा चुनाव जदयू ने भाजपा के साथ लड़ा. किसी तरह दोनों दलों ने सरकार बना तो ली लेकिन राजद के नेतृत्व वाला महागठबंधन कुछ ही सीटों से पीछे रह गया था.

पर सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि नीतीश कुमार की पार्टी राजद और भाजपा के बाद तीसरे नम्बर पर चली गई. जदयू से कोई मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता. जदयू का बेस खिसक गया था जैसे. भाजपा भी कोशिश करने लगी कि अब उसका मुख्यमंत्री बन जाए. परन्तु नीतीश बने मुख्यमंत्री. 2022 में जब लगा कि नीतीश बहुत कमजोर पड़ गए हैं, बस तभी उन्होंने पाला बदल लिया और भाजपा को बिहार में सत्ता से बाहर कर दिया.

राजद के साथ एक बार फिर नीतीश ने सरकार बना ली है. अब बात है कि क्या नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे. इसको लेकर उनकी पार्टी कुछ संकेत ज़रूर दे रही है. जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि नीतीश कुमार विपक्ष से प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं, लेकिन अगर अन्य दल चाहें तो एक विकल्प हो सकते हैं.

इसे जदयू की ओर से नीतीश के केंद्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाने का स्पष्ट संकेत माना जा रहा है. इससे पहले नीतीश कुमार और पार्टी के बड़े नेता इससे जुड़े सवालों को टालते रहे हैं. बिहार मे नई सरकार के गठन के बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार जल्द ही राजद को बिहार में सरकार की कमान सौंप सकते हैं और उसके बाद वो प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश कर सकते हैं.

नीतीश कुमार ने हाल ही में बीजेपी के साथ बिहार में गठबंधन तोड़कर राजद के साथ सरकार बनाई है, हालांकि वो पहले की तरह मुख्यमंत्री बने हुए हैं. जबकि राजद नेता तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है. तेजस्वी पहले ही कह चुके हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद की पूरी काबिलियत रखते हैं.

अंदरूनी सूत्र बता रहे हैं कि संभव है कि जल्द ही नीतीश कुमार सत्ता तेजस्वी यादव को सौंप दें और देश भर में प्रचार प्रसार करें. विपक्षी चेहरा वो बनते हैं या नहीं ये तो अलग बात है लेकिन नीतीश कुमार केन्द्रीय राजनीति में अपनी बड़ी भूमिका देख रहे हैं.

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