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एक दीनदार और नेक औरत ने एक प्रोग्राम में सवाल भेजा जिसमें उस औरत ने सवाल करते हुए पूछा कि मेरी उम्र 30 साल है मैं एक बा पर्दा औरत हूं और दीन पर पूरे अमल करने का कोशिश करती हूं मैं दीनदार आदमी से शादी करना चाहती हूं मगर मेरे रिश्ते ऐसे लोगों के आते हैं जो नमाज तक नहीं पढ़ते तो क्या मैं नमाज ना पढ़ने वाले आदमी से शादी कर लूं या किसी दीन दार आदमी के रिश्ते का इंतजार करू।


टीवी चैनल के प्रोग्राम में औरतों का सवाल का जवाब देते हुए प्रोग्राम में मौजूद मौलाना ने कहा शादी के हवाले से कुछ चीजें जिनको देखा जाता है जब भी कोई रिश्ता आता है उसमें दो तीन चीजों को देखना चाहिए एक चीज यह है कि उस आदमी की दीनी हालत क्या है यानी शरीयत में दीनदार से मुराद वह शख्स मुकम्मल दीनदार हो जबकि हमारे यहां दीनदारी से मुराद यह है कि बंदा नमाज पढ़ता है उसकी शक्ल सूरत दीनदार जैसे लगती हो तो यह चीज देख ले।

मौलाना ने फरमाया दूसरे नंबर पर उसके एखलाक को देखा जाए कि उसका एखलाक कैसा है उसके जो जानने वाले हैं उनसे छानबीन करके मालूम हो जाएगा तीसरे नंबर पर यह देखें कि वह समाजी और हालात के एतेबार से आपके जोड़ का है या नहीं मजहबी स्कॉलर ने खातून का जवाब देते हुए कहा अगर ऐसा कोई रिश्ता उनके लिए आता है जिस से आपके सामाजिक और हालात अच्छे हों और उसके एखलाक अच्छे हों तो रिश्ता के लिए मुनासिब है ।
लेकिन अगर नमाज और दीन के एतिबार से उसके अंदर सुस्ती है तो उसके लिए औरत ये काम कर सकती है कि शादी के बाद उस आदमी को नमाजी बना दें हदीस शरीफ में ऐसी औरतों के लिए तारीफ आई है जो ऐसा करे हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं अल्लाह ताला खुश होते हैं ऐसी औरतों से जो शौहर को नमाज के लिए उठाती है और अगर वह नहीं उठता या सुस्ती करता है तो बीवी उसे जगाने के लिए उस पर पानी के छींटे डालें।

यानी दीन के कामों में वह अपने शौहर की मददगार बन जाए इसमें कोई हर्ज नहीं लेकिन इस इंतजार में कि मेरे मन मुताबिक कोई आदमी आएगा तो इस एतेबार से आपकी उम्र निकल जायेगी जो कि बिल्कुल भी मुनासिब नहीं है आपको इसमें कमी महसूस होती है और इबादत में कमी रखता है जो औरत अपनी कोशिश से उस कमी को दूर करने की कोशिश करे।

स्कॉलर का कहना था कि जाहिर है अगर कोई शख्स किसी पर्दादार औरत से शादी करेगा उसके जेहन में यह बात होगी जब यह आएगी तो यह नमाज पढ़ने के लिए कहेगी इसलिए बहुत एखलाक और नरमी की जरूरत है हमारे यहां लोग ताना और तंज़ करके नमाज की तलकीन करते नजर आते हैं जबकि दीन का तरीका ताना और तंज़ का नहीं है हमारे यहां लोग इसी वजह से बच्चियों के रिश्ते में बहुत देर कर देते हैं जबकि रिश्तो में देर दीन में पसंद नहीं किया गया है

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