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कहते हैं अल्लाह की सबसे बड़ी नेमत नेक बीवी का होना है अगर किसी भी आदमी को नेक बीवी नसीब हो गई तो उसकी दुनिया ही उसके लिए जन्नत बन जाएगी अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मियां बीवी के बारे में बहुत से इरशाद फरमाये हैं हदीस पाक में है बेहतरीन औरत वो है जो अपने शौहर की अताअत एवं फरमाबरदारी करे वैसे ही शौहर के बारे के हुक्म है वो अपनी बीवी का ख्याल रखे बेहतरीन बीवी और बेहतरीन शौहर की कुछ निशानियां बताई जा रही है उसको पढ़ें और अपनी ज़िंदगी मे लाएं इंशाअल्लाह दुनिया ही जन्नत बन जाएगी ।

बेहतरीन बीवी की पहचान : जो अपने शौहर की फरमाबरदारी और ख़िदमत गुज़ारी को अपना फ़र्ज़-ऐ-अज़ीम समझे। जो अपने शौहर के तमाम हुक़ूक़ अदा करने में कोताही न करें। जो अपने शौहर की खूबियों पर नज़र रखे और उसके ऐब और खांमियों को नज़र-अंदाज़ करती रहे। जो खुद तकलीफ उठा कर अपनों शौहर को आराम पहुंचाने की हमेशा कोशिश करते रहे। जो अपने शौहर से उसकी आमदनी से ज़्यादा का मुतालबा न करे और जो मिल जाये उसपर सब्र और शुक्र के साथ ज़िन्दगी बसर करे। जो अपने शौहर के सिवा किसी अजनबी मर्द पर निगाह न डाले न किसी की निगाह अपने ऊपर पड़ने दे।

जो परदे में रहे और अपने शौहर की इज़्ज़त ओ नमूस की हिफाज़त करे। जो शौहर के माल और मकान ओ सामान और खुद अपनी जात को शोहर की अमानत समझ कर हर चीज़ की हिफाज़त ओ निगेहबानी करती रहे। जो अपने शौहर की मुसीबत में अपनी जानी और माली क़ुरबानी के साथ वफादारी का सबूत दे। जो परहेज़गारी की पाबन्द और दीनदार हो, हुक़ूक़ अल्लाह और हुक़ूक़ उल इबाद को अदा करती हो। जो पड़ोसियों(औरतो) और मिलने जुलने वाली औरतों यानि सास, ननन्द, ससुराली रिश्तेदार के साथ खुश अख़लाक़ी और शराफ़त का बर्ताव करे। जो मायका और ससुराल दोनों घरों में हर दिल अज़ीज़ और बा इज़्ज़त हो।

बेहतरीन शौहर की पहचान : जो अपनी बीवी के साथ नरमी, खुश अखलाखी और हुस्ने सुलूक के साथ पेश आये। जो अपनी बीवी के हुक़ूक़ अदा करने में किसी किस्म की ग़फ़लत और कोताही न करे। जो अपनी बीवी का इस तरह हो कर रहे के किसी अजनबी औरत पर निगाह न डाले। जो अपनी बीवी को अपने ऐश-ओ-इशरत में बराबर समझे। जो अपनी बीवी पर कभी ज़ुल्म और किसी किस्म की भी ज्यादती न करे। जो अपनी बीवी की तंग मिज़ाजी और बद अख़लाक़ी पर सब्र करे।

जो अपनी बीवी की खूबियों पर नज़र रखे और मामूली गलतियों को नज़र अंदाज़ करे।जो अपनी बीवी की मुसीबतों, बिमारियों और रंज और गम में दिलजोई और वफादारी का सबूत दे।
जो अपनी बीवी को परदे में रख कर इज़्ज़त और आबरू की हिफाज़त करे। जो अपनी बीवी को जिल्लत और रुसवाई से बचाए रखे। जो अपनी बीवी को दीनदारी की ताकीद करता रहे और शरीअत की राह पर चलायें। जो अपनी बीवी के अखराजात(खर्चे) में बख़ीली और कंजूसी न करे।जो अपनी बीवी को इस तरह ताबेय (कण्ट्रोल में) रखे के वो किसी बुराई की तरफ़ रूख़ भी न कर सके

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