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तुर्की में नए राष्ट्रपति को चुनने के लिए चुनाव हुए थे। इन चुनाव में फिर एक बार रेचेप तैय्यप एर्दोगन(Recep Teyyip Eedhan) को बढ़त हासिल हुई। लेकिन वह फिर भी राष्ट्रपति पद पर काबिज नहीं हो पाए। आपको बता दें कि रेचेप तैय्यप एर्दोगन तुर्की (Turkey Election) के मौजूदा राष्ट्रपति हैं और वह पिछले कई सालों से राष्ट्रपति पद पर काबिज हैं। लेकिन हाल ही में फिर एक बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ और एर्दोगन ने बढ़त भी हासिल करली। लेकिन इसके बावजूद भी वह राष्ट्रपति पद पर काबिज नहीं हो सके।

आपको बता दें कि इस बार का चुनाव एर्दोगन के लिए काफी मुश्किल रहा है। पिछले चुनाव को देखा जाए तो उन्होंने बड़ी ही आसानी से जीत हासिल करली थी। लेकिन इस बार उनके सामने कमाल कलचदारलू नाम की एक दीवार खड़ी हुई है। जिन्होंने इस बार उनको कड़ी टक्कर दी है। कमाल कलचदारलू विपक्ष (Turkey Opposition Leader) के उम्मीदवार हैं। जिनको चुनाव में 45% वोट हासिल हुए हैं। जबकि एर्दोगन को 49.4% वोट मिले हैं।

विपक्ष से ज्यादा वोट हासिल करने के बाद भी उनको जीत क्यों हासिल नहीं हुई.? चलिए बताते हैं। दरअसल, तुर्की में राष्ट्रपति पद के किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए 50 फीसद वोट की दरकार होती है। अगर वह इसको पाने में नाकाम रहता है तो उसकी जीत नहीं मानी जाती है। ऐसे में देश का राष्ट्रपति चुनने के लिए सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवारों के बीच रन ऑफ राउंड कराया जाता है। जिसमें से एक को देश का राष्ट्रपति बना दिया जाता है।

मिली जानकारी के अनुसार अब 28 मई को रेचेप तैय्यप एर्दोगन और कमाल कलचदारलू के बीच रन ऑफ राउंड करवाया जाएगा। इस राउंड में जो भी जीत हासिल करता है उसको देश का राष्ट्रपति घोषित कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि एर्दोगन (Eedhan Turkey) साल 2003 से ही देश का नेतृत्व कर रहे हैं। लेकिन इस बार उनके लिए जीत हासिल करना आसान नहीं होगा, क्योंकि कलचदारलू को जनता का काफी सपोर्ट मिल रहा है।

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