1991 Lok Sabha Election: 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल सरकार बन तो गई लेकिन इस सरकार को बाहर से अलग-अलग विचारधारा वाले बड़े दलों का समर्थन हासिल था. ये विचारधारा कुछ ही समय में डायरेक्ट टकराने लगीं. भाजपा राम मंदिर आन्दोलन को और एग्रेसिव होकर चलाने लगी. बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद इस क़दर बढ़ चुका था कि देश में कई जगह हिन्दू-मुस्लिम दंगे भी हुए. सरकार बनने के कुछ ही दिन बाद गृह मंत्री मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी को कश्मीरी आतंकवादियों ने किडनैप कर लिया. सरकार ने जिस तरह से इस मुद्दे को हैंडल किया उसकी भी कड़ी आलोचना हुई लेकिन गृह मंत्री की बेटी को छुड़ा लिया गया.
कश्मीर में हालात तेज़ी से बिगड़ने लगे. सरकार ने भाजपा के कहने पर जगमोहन मल्होत्रा को जम्मू और कश्मीर का गवर्नर नियुक्त कर दिया. जगमोहन के नेतृत्व में हालात सही होने के बजाय और बिगड़े. आतंकवादियों ने कश्मीर के हिन्दू पंडितों को अपना घर बार छोड़ने पर मजबूर कर दिया. कश्मीर के बिगड़ते हालत एक तरफ़ थे तो दूसरी तरफ़ देश में बाबरी मस्जिद-राम मंदिर का विवाद. इसके अलावा वीपी सिंह सरकार में जैसे ही मंडल कमीशन की सिफ़ारिश लागू हुई, उत्तर भारत में खुलकर जातिगत विवाद देखा जाने लगा.
मंडल कमीशन लागू होने के बाद से ओबीसी आरक्षण लागू हुआ. इस फ़ैसले को जहाँ ओबीसी जातियों ने सर आँखों लिया वहीं सवर्ण जातियों ने इस पर कड़ा एतराज़ जताया. पूरे देश का माहौल इस पार या उस पार का हो गया. वीपी सिंह सरकार को एक साल भी नहीं हुआ कि भाजपा ने सरकार से समर्थन वापिस ले लिया. पार्टी के वरिष्ठ नेता चन्द्रशेखर ने जनता दल छोड़ दी और अपनी पार्टी बना ली. चन्द्रशेखर की पार्टी समाजवादी जनता पार्टी 64 सांसदों के साथ मज़बूती से उभरी. कांग्रेस ने चन्द्रशेखर को समर्थन दिया और देश में पहली बार एक समाजवादी नेता को प्रधानमंत्री पद की कुर्सी मिली.
हालाँकि चन्द्रशेखर की सरकार भी बहुत दिन नहीं चली. कुछ ही महीनों बाद कांग्रेस ने चंद्रशेखर से समर्थन वापिस ले लिया. इसके बाद देश में फिर से लोकसभा चुनाव हुए. 1989 से लेकर 1991 के बीच देश में बहुत कुछ ऐसा हुआ कि देश का माहौल साम्प्रदायिक हो गया. पूरी तरह polarize चुनाव मंडल कमीशन और अयोध्या विवा
द के नारों से शुरू हुआ. ऐसा लगने लगा कि कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी इस चुनाव में बहुत पीछे जा सकती है लेकिन कांग्रेस भी तैयार थी. उसके सामने भाजपा, जनता दल जैसी पार्टियों की चुनौती ज़रूर थी लेकिन कांग्रेस अभी भी एकमात्र ऐसी पार्टी थी जिसका वोट पूरे देश में था.
लोकसभा चुनाव 20 मई, 12 जून, और 15 जून 1991 को हुए. पहले चरण का मतदान 20 मई को हुआ और इस चरण में 211 सीटों के लिए मतदान हुआ. पहले चरण के मतदान के अगले दिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई. वो श्रीपेरेमबुदुर में एक चुनावी रैली में शामिल होने गए थे. राजीव गांधी की हत्या की वजह से चुनाव जून तक टाल दिए गए. जिन 211 सीटों पर पहले चरण में मतदान हुआ उनमें से अधिकतर सीटों पर कांग्रेस का सफ़ाया हो गया. राजीव गांधी की हत्या हो जाने के बाद कांग्रेस को जनता की भरपूर सहानुभूति मिली.
बाक़ी की 323 सीटों पर कांग्रेस को भारी बढ़त मिली. यही वजह रही कि कांग्रेस 232 सीटें जीतने में कामयाब रही. सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से राष्ट्रपति ने कांग्रेस को सरकार बनाने का न्योता दिया और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बने. 1991 Lok Sabha Election
Sr No | Party | Seats |
---|---|---|
1 | INC Indian National Congress |
232 |
2 | BJP Bharatiya Janata Party |
120 |
3 | JD Janata Dal |
59 |
4 | CPM Communist Party Of India (marxist) |
35 |
5 | CPI Communist Party Of India |
14 |
6 | TDP Telugu Desam |
13 |
7 | ADK All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam |
11 |
8 | JMM Jharkhand Mukti Morcha |
6 |
9 | JP Janata Party |
5 |
10 | RSP Revolutionary Socialist Party |
4 |
11 | SHS Shivsena |
4 |
12 | FBL All India Forward Bloc |
3 |
13 | MUL Muslim League |
2 |
14 | BSP Bahujan Samaj Party |
2 |
15 | KCM Kerala Congress (m) |
1 |
16 | ADC Autonomous State Demand Committee |
1 |
17 | IND Independent |
1 |
18 | AGP Asom Gana Parisad |
1 |
19 | JD(G) Janata Dal (gujrat) |
1 |
20 | ICS(SCS) Indian Congress (socialist-sarat Chandra Sinha) |
1 |
21 | HVP Haryana Vikas Party |
1 |
22 | MRP Manipur Peoples Party |
1 |
23 | NPC Nagaland Peoples Council |
1 |
24 | SSP Sikkim Sangram Parishad |
1 |
25 | MIM All India Majlist-e-ittehadul Muslimeen |
1 |
Total | 521 |