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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद चुनाव को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है। बता दें कि इस चुनाव में भाजपा की जीत पक्की है। लेकिन फिर भी मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी अपना कैंडिडेट मैदान में उतार रही है। गोरतलब हैं कि विधान परिषद के चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया विधानसभा या अन्य चुनाव से पूरी तरह अलग होती है और मतगणना का तरीका भी भिन्न है। इसको समझना काफी मुश्किल है। बता दें कि राज्य में एमएलसी की दो सीटों पर चुनाव हो रहा है और आज नामांकन का आखिरी दिन है।

मिली जानकारी के अनुसार भाजपा की ओर से धर्मेंद्र सैंथवार और निर्मला पासवान को उम्मीदवार बनाया गया है। बता दें कि भाजपा के दोनों उम्मीदवारों की जीत पक्की है। लेकिन समाजवादी पार्टी फिर भी अपनी किस्मत आजमा रही है। समाजवादी पार्टी ने अपनी ओर से कीर्ति कोल उम्मीदवार बनाया है। ये बात तो सब लोग ही जानते हैं कि इस चुनाव में भाजपा की जीत पक्की है। तो चलिए हम आपको बता दें ऐसा क्यों है?

दरअसल, एमएलसी चुनाव में मतदान और मतगणना की प्रक्रियाएं बाकी चुनाव से बिल्कुल अलग होती हैं। मतदाता अन्य चुनावों में किसी एक प्रत्याशी को वोट देता है, लेकिन विधान परिषद चुनाव में एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वरीयता क्रम में वोट देने का विकल्प रहता है। यानी विधायक तीनों उम्मीदवार के नाम के आगे वरीयता क्रम एक, दो और तीन लिखेंगे। इसमें वोटिंग होगी और किसे कितने वोट मिलने पर उसकी जीत तय होगी।

बात करें वोटिंग प्रक्रिया कि तो प्रथम वरीयता के वोट के आधार पर कोटा का निर्धारण किया जाएगा। कोटा निर्धारण में मान्य वोटों में दो से भाग देकर प्राप्त संख्या में एक अंक जोड़ दिया जाएगा। उदाहारण के तौर पर सौ मान्य वोटों का कोटा 51 निर्धारित होगा। प्रथम गणना में ही 51 वोट या अधिक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाएगा। ऐसे में देखा जाए तो भाजपा की जीत पक्की है।

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