अस्सलाम ओ अलैकुम दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि साफ-सफ़ाई की कितनी एहमियत है. इस्लाम में भी सफ़ाई को विशेष स्थान दिया गया है. सफ़ाई रखने से हम कई तरह की बीमारियों से बचते हैं और साथ ही हम ताज़ा महसूस भी करते हैं. अल्लाह ने कई जगह इस बात को लेकर कहा है. अगर हम नमाज़ को ही देखें तो हम अगर पाँच बार नमाज़ पढ़ें तो हमें पाँच बार वुज़ू करना होगा. सफ़ाई रखना एक इंसान के लिए कितना ज़रूरी है ये इसी बात से मालूम चल जाता है.
दोस्तों, सफ़ाई की बात आती है तो नाखून की बात ज़रूर आती है. ऐसा माना जाता है कि कोई भी साफ़ ज़ह्नीयत का शख्स नाखून समय समय पर काटेगा. बड़े नाखून होने का मतलब है कि आप अपने अन्दर बीमारियों को दावत दे रहे हैं. अगर आपके नाखून बड़े हैं तो उसमें गंदगी फँस जाती है और वो गंदगी खाना खाते में जिस्म के अन्दर जा सकती है. इस्लाम में नाखून को समय समय पर काटते रहने की बात है लेकिन नाखून किस समय काटना है ये समझना बहुत ज़रूरी है.
इस बारे में मौला-ए-कायनात हज़रत अली का एक वाक़या समझने की ज़रूरत है. एक बार की बात है मौलाए काइनात हज़रत अली रज़ी अल्लाहु ताला अनहु एक मर्तबा अपने घर जा रहे थे,और यह रात का वक़्त था,रास्ते में आप देखते हैं कि एक आदमी अपने नाखून काट रहा है,हज़रत अली रज़ी अल्लाहु ताला अनहु यह देख कर रुक जाते हैं,और उस इंसान के पास तशरीफ ले जाते हैं,उस से कहते हैं कि ए शक्स अल्लाह के रसूल ने रात में नाखून काटने से मना फरमाया है,वह शख्स मौला अली रज़ी अल्लाहु ताला अनहु से सवाल करता है कि ऐसा क्यों है कि रात में नाखून काटने से मना किया गया है.
इसके जवाब में मौला अली रज़ी अल्लाहु ताला अनहु फरमाते हैं कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जब जन्नत में थे तो उन्हें और उनकी बीवी हज़रत हव्वा को लोहे के धातू का लिबास पहनाया गया था लेकिन जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत से ज़मीन पर उतारा गया तो यह लिबास भी उनके जिस्म से उतार लिया गया था. वो आगे कहते हैं कि लेकिन उनके हाथ और पैर पर कुछ निशान रह गए थे,इसलिए यह नूर है,और इसे रात में नहीं काटना चाहिए,अल्लाह ताला को यह पसंद नहीं है कि रात में इस नूरानी हिस्से को काटा जाये। नाखून के बारे में कहा गया है कि जब भी नाखून काटें तो कटे हुए नाखूनों को एक जगह एक साथ कर के कूड़े में डाल दें.