उत्तर प्रदेश की दो बड़ी पार्टियों के बीच विवाद इस समय बढ़ता दिख रहा है. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और सत्ताधारी भाजपा में विवाद गहरा गया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भाजपा पर आरोप लगाया कि भाजपा पिछड़ों और दलितों को शूद्र मानती है. उन्होंने कहा कि वो हम सबको शूद्र मानती है, हम धार्मिक स्थान तक जाते हैं, संतों-गुरुओं से मिलते हैं तो भाजपा के लोगों को तकलीफ होती है. अखिलेश ने कहा कि यही वजह है कि यज्ञ कार्यक्रम में शामिल होने से हमें रोकने के लिए भाजपा ने गुंडे भेजे थे.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के गुंडों ने हम पर हमला किया लेकिन भाजपा इस बात को समझ ले कि समाजवादी लोग डरने या घबराने वाले नहीं हैं. अखिलेश ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने पुलिस और पीएसी घटनास्थल से पहले ही हटा ली थी। जो नाम मात्र की पुलिस थी वह भी मूक दर्शक बनी रही। समाजवादी पार्टी इस मामले में आक्रामक रुख अपनाए हुए है.
अखिलेश ने आक्रमाख रुख में कहा कि याद रहे समय बदलता है और भाजपा के लोग भी याद रखें उनके लिए भी इसी तरह की व्यवस्था होगी। अब समझ में आ रहा है कि मेरी एनएसजी क्यों हटाई गई? सिक्योरिटी क्यों कम की गई ? मेरा घर गंगा जल से क्यां धोया गया? क्योंकि हम उनकी नज़र में कुछ और ही है। भाजपा के बिना आरएसएस नहीं और आरएसएस के बिना भाजपा नहीं।
अखिलेश ने बताया कि लखनऊ की गोमती नदी के किनारे आयोजित धार्मिक यज्ञ में शामिल होने के लिए जिन संतों और आयोजनकर्ताओं ने हमें बुलाया था उन्हें भाजपा और आरएसएस की तरफ से धमकियां मिल रही हैं। अनुष्ठान में भाजपा के लोगों ने बाधा पैदा की। कार्यक्त्रस्म स्थल पर पहुंचने पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मुझे रोकने की कोशिश की। श्रद्धालुओं और भक्तों के साथ धक्का मुक्की की। भाजपा अपने को धर्म का ठेकेदार समझती है। हम तो श्रद्धा के साथ गए थे उससे भाजपा को क्यों दिक्कत हो गई।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश के पीतांबरा पीठ के महाराज दंडी स्वामी रामाश्रय महाराज के सानिध्य में योगी राकेश नाथ महाराज और मृत्युंजय भैरवमहाराज द्वारा आयोजित 108 कुंडीय महायज्ञ में हिस्सा लिया। उन्होंने यज्ञ में पहुंचकर संतों से आशीर्वाद लिया. उल्लेखनीय है कि शनिवार के रोज़ अखिलेश यादव ने एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्या से मुलाक़ात की. स्वामी के एक बयान को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है. अखिलेश यादव ने शनिवार के रोज़ स्वामी से आधे घंटे तक बात की.
गत 22 जनवरी को एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरित मानस को लेकर टिपण्णी की थी. उन्होंने कुछ रामचरितमानस की कुछ चौपाई को वर्ग और वर्ण विरोधी बताकर उन्हें हटाने की मांग कर दी थी. इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्या को काफ़ी विरोध झेलना पड़ा. सपा के भी कुछ विधायक स्वामी के ख़िलाफ़ नज़र आये. ख़बर तो यहाँ तक आयी कि अखिलेश यादव भी स्वामी प्रसाद मौर्या से नाराज़ हैं. हालाँकि शनिवार को जब स्वामी प्रसाद मौर्या से अखिलेश की मुलाक़ात हुई उसके बाद नाराज़गी जैसी कोई बात नज़र नहीं आयी. Swami Prasad Maurya
स्वामी ने कहा कि अखिलेश से जातीय जनगणना के मुद्दे पर बातचीत की गई है. उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा, उसके बाद आन्दोलन शुरू होगा. उन्होंने कहा कि .पार्टी की मांग है कि हर हाल में जातीय जनगणना होनी चाहिए। उन्होंने दोहराया कि सपा दलितों, पिछड़ों के संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई निरंतर लड़ेगी।
इसके बाद अखिलेश यादव ने भी बयान दिया और कहा कि सपा ने जातीय जनगणना को अपने चुनावी घोषणा पत्र में रखा था और एलान किया था कि सत्ता में आने पर पहला काम यही शुरू होगा। अब भाजपा से मांग है कि वह जातीय जनगणना कराए। मालूम हो कि इससे पहले भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं। इन दिनों पार्टी की ओर से जातीय जनगणना के मुद्दे पर अभियान चलाने की घोषणा करना इसलिए भी अहम है क्योंकि बिहार में इस मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है।
वहीं स्वामी प्रसाद मौर्या से जब ये सवाल किया गया कि क्या वो रामचरितमानस को लेकर दिए बयान की माफ़ी मांगेंगे, इस पर उन्होंने कहा कि वो अपनी बात पर क़ायम हैं. उन्होंने कहा कि वो माफी नहीं मानेंगे। वो कहते हैं कि रामचरित मानस में जो कहा गया है वह देश के दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों का अपमान है। रामचरित मानस से उस दोहे को हटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भूपेंद्र चौधरी माफी मांगने को कह रहे हैं लेकिन वो हमारी पार्टी के नेता नहीं हैं। समाजवादी पार्टी के जो नेता माफी मांगने को कह रहे हैं वह जाति विशेष के लोग हैं। मैं आज भी अपने सच के साथ खड़ा हूं।