हज़रात-ऐ- हाजरा का क़िस्सा, हर मुस्लमान को जानना ज़रूरी है…

अस्सलामोअलैकुम भाइयों और बहनों आज हम आपको बतायगे हज़रत ए हाजरा का क़िस्सा:मिस्र के बादशाह ने अपनी बेटी निकाह में देदी बच्चे कोई नही दो बीवियां 86 साल की उम्र होगई मांगते मांगते 60 साल की दुआओं के बाद अल्लाह ने बेटा दिया इस्माइल अभी वो कुछ दिन के थे कि अल्लाह की तरफ से इशारा हुआ लेकर निकलो किधर ?अल्लाह ताला ने सारा के दिल मे डाल दिया खिंचाव दिल बन्द करा दिया। सारा बड़ी बीवी कहती है मेरी आँखें से दूर करो इन्हें औलाद होगई मुझे नही ।तब जिब्राइलअलैहिस्सलाम आए और कहा चलो ये सही कह रही है।हज़रत हाजरा कहती है अल्लाह कहा लेजाऊ।जिब्राइल आय दुनिया की ज़िंदगी मे पहली बार इंसान की शक्ल में ऊंट पर आय आगे जिब्राइल और पीछे इब्राहीम अलैहिस्सलाम बच्चा और बेगम। बेगम जो हाजरा 22 साल की थी शहज़ादी थी चलते चलते 3 हफ्ते लगे महीना लगा 3हफ्ते लगे अल्लाह ही जानता है लेकिन जब मक्का की वादी में पहोंचे न इंसान न पेड़ न पानी न साया जिसके चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़।सफा मरवा 4 पहाड़ो में 1 जगह आई कहा यहाँ अपने बीवी बच्चे को उतार दे फिर चले जाय आप के अल्लाह का हुक्म है यही छोड़ दे।

अल्लाह के हुक्म से छोड़ दिया माँ हाजरा ने कहा क्या ये अल्लाह का हुक्म है इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने हां में सर हिला दिया।पहले वो 1 माँ बनके सोचरही थी 1 बीवी बनके सोचरही थी लेकिन जब अल्लाह का हुक्म सुना तो 1 मोमिना बनकर सोचा कहा जाओ अल्लाह ने हुक्म दिया है वो हमारी हिफाज़त करेगा जाओ। वहाँ कुछ भी नही था न पानी न पेड़ न कोई इंसान। इस्माइल अलैहिस्सलाम पानी के लिए रोरहे थे वो पानी की तलाश में इधर उधर दौड़ रही थी इस्माइल अलैहिस्सलाम अपनी एड़िया ज़मीन पर रगड़ रहे थे बूख प्यास से अल्लाह का करिश्मा देखिए अल्लाह ने उस जगह 1 झरना ( चश्मा) पहाड़ो के बीच से निकाल दिया।अल्लाह ने वहाँ से ज़मज़म निकल दिया हज़रत हाजरा जो पानी की तलाश में दौड़ी उन्होंने 7 चक्कर लगाया उसे सफा मरवा बनादिया,जिसके बिना आज हज मुकम्मल नही।अल्लाह ने उनके इम्तेहान का उन्हें इतना बड़ा ईनाम दिया जो क़यामत तक कायम रहेगा जिसके बिना हज मुकम्मल नही।

7 चक्कर पहाड़ो का लगाने के बाद वो थक कर गिर गई सोचा मैं यही मरजाऊँगी और बच्चा वहां माँ की ममता में फिर उठी उम्मीद की 1 किरण नज़र आई 1 आदमी वहाँ नज़र आया जो जिब्राइल थे पानी का चश्मा फूटा और वो गायब होगये उन्होंने कहा ज़मज़म ज़मज़म अपनी ज़बान में यानी रुक जा ।अल्लाह के नबी ने कहा माँ हाजरा का अल्लाह भला करे अगर वो ज़मज़म न कहती तो अल्लाह पूरा दरया बना देते।उस पानी को आज हर कोइ ज़मज़म के नाम से जानता है और उसके बहुत फायदे हैं।मेरे अल्लाह की कुदरत देखिए तुम अल्लाह की रज़ा की तरफ 1 कदम उठाओगे उसकी रहमत तुम्हे अपनी छाओ में ले लेगी।अल्लाह ताला हम सबको अमल करने की हिदायत दे आमीन।

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