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Hauz e Kausar Kya Hai? Sahabi Jinke Haath Mein Joota Tha Qayamat Ke Din Hisaab Sunnat Se Bachi Jaan Gunah ki maafi ki dua Hazrat Umar Ka Chatai ka Takht Aadam Duniya Mein Kaise Aaye Hazrat Ali ne bataya dost ya bhai? Jab Paighambar Muhammad Gaare Hira Mein The Hazrat Peer Zulfikar Ka Bayan Governor ke bete ne kiya yahudi par zulm Zam Zam Pani Ke Fayde Ayatul Kursi Ke Fayde Pahla Muslim Scientist Huzoor Paak Namak Ke Baare Mein Baat Islam se nafrat karne wali boodhi aurat Paighambar Muhammad Ka Husn E Mubarak Ek Badchalan Aurat Ka Qissa Kya Muhabbat Mein Zina Jayaz Hai Dua Maangne se Pahle Aur Baad Mein Padhen Nabi Ka Jazba e Raham Sahabi Ka Pakka Iman Is Amal Se Door Hogi Pareshani Jab Insan Ka Pahla Baal Safed Hota Hai Machhli Khane Walon ke Liye Hadees Apne Iman Ko Taaza Rakhne Ka Tareeqa Hazrat Ayub Ka Imtihaan Dua Kyun Nahin Ho Rahi Poori Hazrat Ali Ne Bataya Qismat Kaise Badlen Hazrat Ali Ne Raat Mein Paani Peene ke baare mein kya kaha Achchi Biwi Ki Nishani Nooh AS ki kashti ka waqya Rizk ko lekar pareshan hain to karen ye amal Hazrat Ali Ka Kaul Teen Logon ko raaz"Muhammad, the Messenger of God" inscribed on the gates of the Prophet's Mosque in Medina

Saat Pushte Jannat Mein Jaayengi “हज़रत उस्मान रज़ि अ० ,हुज़ूरे अक़दस स० अ० का इरशाद नक्ल करते हैं कि तुम मे से बेहतर वह शख़्स है जो कुरआन शरीफ़ को सीखे और सिखाये” कलाम पाक चूंकि अस्ल दीन है ,इसकी बका व इशाअत पर ही दीन का दारोमदार है।इसलिए इसका सीखना और सिखाना किसी तशरीह का मोहताज नहीं है। अलबत्ता इसकी नोय्यत अलग अलग हो सकती है। कमाल इसका यह है कि मतलब व मक़ासिद समेत सीखा जाए।और अदना दर्जा इसका यह है कि फ़कत अलफ़ाज़ सीख लिए जाएं ।हालांकि इतना कुरआन हिफ्ज़ करना हर मुसलमान पर फर्ज़ है जिससे उसकी नमाज़ अदा हो सके।

एक दूसरी हदीस से मुल्ला अली क़ारी ने नक़ल किया है कि जिस शख़्स् ने कलाम पाक को हासिल कर लिया ,उसने उलूमे नबूवत को अपनी पैशानी मे जमा कर लिया।हज़रत सुहैल तस्तरी रज़ि अ० फ़रमाते हैं कि हक़ तआला शानहु से महब्बत की अलामत यह है कि उसके कलामे पाक की महब्बत कल्ब मे हो। कुरआन क्या है : कुरआन पाक अल्लाह तआला की किताब है, जिसे उसने अपने फ़ज़लो करम से अपने और हम सबके प्यारे नबी हज़रत मौहम्मद मुस्तफा स० अ० पर नाज़िल फ़रमाया है। इसमे अल्लाह तआला के पैगामात दर्ज हैं। जिनको हज़रत जिबरईल अ० स०( अल्लाह के फ़रिश्ते) वही ( खुदा का पैगाम ) की शक्ल मे हुज़ूर के पास लेकर आते थे। कुरआन शरीफ़ धीरे धीरे नाज़िल हुआ है।

आप स० अ० पर मुकम्मल कुरआन नाज़िल होने मे 23 साल का वक्त लगा था। इसमें 30 पारे ( chapter) हैं। कुरआन शरीफ़ क़ो ज़बानी याद करने वाले को हाफ़िज़ कहा जाता है।हाफ़िज़े कुरआन के हक़ कई बशारत मौजूद हैं। इनमें से एक बहुत मशहुर औ मारुफ़ यह है कि हाफ़िज़ुल कुरआन की सात पुशतें जन्नत मे जायेंगी।यानी अल्लाह तआला हाफ़िज़े कुरआन के सदक़े मे उनकी मग़फ़िरत फ़रमायेंगे।वैसे तीस पारो को इस तरह अपने दिल मे हिफ़्ज़ कर लेना अपने आप में एक मोजिज़ा है। जो बगैर अल्लाह तआला की मदद के मुमकिन नहीं है।

दोस्तों क़ुरआन के बारे में हमने कितनी अच्छी बातें आपको बतायीं. बचपन से ही हमारे बुज़ुर्ग हमें समझाते हैं कि हम दीन की बातों को अच्छे से समझें. पाँच वक़्त की नमाज़ पढ़ें और तौबा करते रहें.इस्लाम की बातों पर चलें, हम अक्सर देखते हैं कि दुनिया के मामलात में उलझ कर हम आख़िरत की बात भूल जाते हैं और दीन की बातों पर नहीं चल पाते. पैसा कमाने के लिए झूठ का सहारा लेने लगते हैं. हम सभी को ये बात समझनी चाहिए कि अल्लाह हमेशा उन लोगों की मदद करता है जो लोग नेक रास्ते पर चलते हैं. हम उम्मीद करेंगे कि आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों से शेयर करेंगे और अल्लाह के बताये रास्ते पर ही हमेशा चलेंगे. ~ Saat Pushte Jannat Mein Jaayengi

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