Fri. Apr 19th, 2024

नमाज़ हर मुसलमानो पर फ़र्ज़ है, नमाज़ किसी भी हाल में माफ़ नहीं है , 7 साल कि उम्र से नमाज़ कि पावंदी का हुक्म है इस्लाम के बुनयादी अरकानों में सबसे पहले नमाज़ है 5 वक़्त कि नमाज़ औरत मर्द सभी को हर हाल में पढ़नी है यहाँ तक कहा गया है कि नमाज़ किसी भी हाल में माफ़ नहीं है क़ुरान मजीद में अल्लाह-ताला ने जिस बात पर सबसे ज़ायदा ज़ोर दिया है वह नमाज़ है औरसभी पर फ़र्ज़ कर दिया गया है.

और यही वजह है कि नबी करीम अकरम सल्ल० ने अपनी उम्मत को बार बार नमाज़ पढ़ने के मुतालिक इरशाद फरमाते रहे एक जगह नबी करीम सल्ल० ने फ़रमाया मुश्रिक़ और मोमिन के बिच बुनयादी फर्क नमाज़ है फिर एक और जगह नबी करीम सल्ल० ने इरशाद फ़रमाया कि जब मोमिन सजदे में होता है तो रब के सबसे करीब होता है .

दोस्तों आज आप को नबी करीम सल्ल० के इस फरमान पर कि जाने वाली एक रिसर्च सामने आई, जब सइंसदानो ने एक नमाज़ पढ़ने वाले शख्स के दिमाग के साथ जदीद मेडिकल अलात लागए तो उन्हें क्या हैरत अँगरेज़ नातयत देखने को मिली,ये रिसर्च मलेशिया कि एक यूनिवर्सिटी में पेश आए यूनिवर्सिटी कि एक टीम ने साइंसदानो कि कयादत में एक रिसर्च कि,

जिसमे नमाज़ में मशरूफ अफ़राद के दिमाग के हिस्सों को नमाज़ के मुक्तलिफ़ मराहिल के दरमियान यानि रुकू, सजदे क़याम में दिमाग के अंदर मौजूद अंदुरनी सिग्नल का मुताला किया गया और तहक़ीक़ से पता चला नमाज़ के दौरान और बिल्खुसुस सजदे के दौरान दिमाग में अल्फ़ावेव एक्टिविटी में इज़ाफ़ा हो गया .आप सोचते हुंगे ये ल्फ़ावेव क्या होता है तो आप को बता दे …आगे देखिए वीडियो …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *