Nooh AS ki kashti ka waqya ~ हज़रत नूह अलिह सलाम हज़रत इदरीस अलिह सलाम के परपोते हैं और आप हज़रत आदम अलिह सलाम की 9वी या 10वी पुश्त से है।हज़रत नूह अलिह सलाम ने तकरीबन 900 साल तक अपनी कॉम में दिने हक़ की तबलीग की।लोगो को हुस्ने आका और इस्लाहे अमाल की तरफ बुलाया।लेकिन सिर्फ 80 लोग ही आप पर ईमान लाय।और आपकी तालीमात के पैरोकार बने।
आपने दुनिया मे किस जगह तबलीग की इसके बारे में मोहकेकिन का मानना है कि इराक के शहर राफेदेेन में हज़रत नूह अलिह सलाम के आसार मिलते हैं।राफेदेेन की तारीख में जिस इस्लाह पसँद शख्शियत का ज़िक्र मिलता है उनके अहवाल हज़रत नूह अलिह सलाम से मिलते हैं।और जिस तरह तूफान के आने का वाक्या है उसी तरह वहाँ आजाब आने के असरात मौजूद हैं।जिसके बिना पर मुआररिफीन ने बिलादुरराफिदेन को हज़रत नूह अलिह सलाम का मसकन करार दिया है।
तूफानी नूह में दुनियाभर की तमाम मख़लूक़ात तबाह और बर्बाद हो गईं।सिर्फ वही बाकी रहे जो हज़रत नूह अलिह सलाम की कश्ती मे सवार थे।मशहूर जरीदे क्रिस्टन साइंस के माहिरीन का कहना है कि कश्तीये नूह अलिह सलाम की बकीयात मशरीकी तुर्की में बाकी कोहे अरारत पर मिली है जिसकी चोटी लगभग 14000 फिट बुलन्द है।उस कश्ती की 3 मन्ज़िल हैं।ये कश्ती कई मीटर बर्फ के निचे दबी रही।
चीनी माहिरीन का कहना है कि वो यकीन से ये बात कह सकते हैं कि ये नूह अलिह सलाम की कश्ती है जो उन्होंने 4800 साल पहले अल्लाह के हुक़्म से बनाई थी।मुस्लिम मोहकेकिन ने कश्ती के ठहरने की जगह जुदी के पहाड़ को दिया है।ये पहाड़ी कोहे केरदा का हिस्सा है।कोहे केरदा जज़ीरा ए इब्ने उमर के करीब है।ये कश्ती 300 गज़ लंबी 50 गज़ चौड़ी और 30 गज़ ऊँची थी।
ये कश्ती 6 माह 8 दिन और10 मुहररमुल हरम को जुदी पहाड़ पर ठहरी जब पानी उतरा तो नूह अलिह सलाम ने कुफरान शहर आबाद किया।और फ़रमाया एक मस्जिद बनाओ।जिसे समानी मस्जिद कहा गया।नूह अलिह सलाम का मज़ारे मुबारक लबनान में है। ~ Nooh AS ki kashti ka waqya