हज़रत अम्र बिन आस रज़ी मिस्र के गवर्नर थे एक बार घोड़ों की दौड़ का मुकाबला हुआ.मुकाबले मे हज़रत अम्र बिन आस रज़ी का बेटा भी शामिल था.दौड़ शुरू हुई सभी के घोड़े तेज रफ़्तार से दौडने वाले थे वैसे अरबी नस्ल के घोड़े उस ज़माने के मशहूर घोड़े थे लेकिन एक यहूदी लड़के का घोड़ा सबसे ज़्यादा तेज़ रफ़्तार वाला था और उसने उस दौड़ में बाज़ी मार ली.वो दौड़ जीत गया.
हज़रत अम्र बिन आस रज़ी के बेटे ने इसी जलन मे उस यहूदी लड़के की पिटाई कर डाली यहूदी लड़के ने हज़रत उमर रज़ि को ख़त लिखा की मेरे साथ ऐसा सा मामला पेश आया है और मेरे साथ हज़रत अम्र बिन आस रज़ी के बेटे ने मारपीट की है.हज़रत उमर रज़ि ने फ़ौरन अम्र बिन आस को ख़त लिखा के बिना देर किये मदीना आ जाइये और हां ज़रा अपने लड़के को भी ज़रूर साथ लेकर आना और यहूदी लड़का जिसने दौड़ मे जीत हासिल की है उसको भी ज़रूर साथ लेते आना.
मदीने में जब सभी लोग आ गए तो हज़रत उमर रज़ि ने अम्र बिन आस को सारा मामला बताया अम्र बिन आस रज़ी ने अपने बेटे से पूछा कि क्या तुमने इस यहूदी लड़के को सिर्फ़ इसलिए मारा की उसका घोड़ा तुम्हारे घोड़े से आगे निकल गया और वो जीत गए तुम हार गए लड़के ने कहा कि हां मैंने मारा था.
इतना सुनते ही अम्र बिन आस रज़ी गुस्से से आग बबूला हो गए और अपना कोड़ा निकाल लिया हज़रत उमर रज़ि ने कहा कि अम्र रहने दीजिये अगर आपके कोड़े मे इंसाफ़ करने की ताक़त होती तो तुमको यहाँ बुलाने की ज़रूरत ही ना पड़ती तो अब कोड़ा हमारा होगा और लड़का तुम्हारा होगा और यहूदी लड़के के हाथ से मार होगी और ऐसा ही इन्साफ हुआ भी उस यहूदी लड़के ने सब के सामने गवर्नर के बेटे को कोड़े मारे.हज़रत उमर के इंसाफ से कई गैर मुस्लिम हस्तियाँ प्रभावित रही है.भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हजरत उमर फारुख पर अपने विचार देते हुए कहा था अगर हिंदुस्तान मे अमन सुकून और इंसाफ चाहिए तो उमर जैसी हुकूमत करने वाला होना चाहिए.