1) हज़रत अबु उमामा रज़ि ० अ० रिवायत करते हैं कि आप स० अ० ने इरशाद फरमाया कि लोगों मे अल्लाह तआला के क़ुर्ब का ज़्यादा मुस्तहिक़ वह है जो सलाम करने मे पहल करे। ( हवाला : अबू दाऊद ) 2) हज़रत अब्दुल्लाह रजि० अ० से रिवायत है कि सलाम मे पहल करने वाला तकब्बुर से बरी है। ( हवाला : बहक़ी) 3)“हज़रत इमरान बिन हुसैन रज़ि अंहुमा से रिवायत है कि एक साहब नबी करीम स० अ० ,की ख़िदमत मे हाज़िर हुए और उन्होंने अस्सलाम अलयकुम कहा। आप स० अ० ने उनके सलाम का जवाब दिया । फ़िर वह मजलिस मे बैठ गये। आप स० अ० ने इरशाद फ़रमाया : दस। यानी उनके लिए उनके सलाम करने की वजह से दस नेकियाँ लिख दी गई हैं।

फिर एक और साहब आये और उन्होंने अस्सलाम अलयकुम वरहमतुल्लाह कहा ।आप स० अ० ने उन के सलाम का जवाब दिया। फिर वह साहब बैठ गये। आप स० अ० ने इरशाद फ़रमाया : बीस । यानी उनके सलाम करने की वजह से उन के लिए बीस नेकियाँ लिख दी गयीं। फिर एक तीसरे साहब आये । और उन्होंने अस्सलाम अलयकुम वरहमतुल्लाह व ब र कातुहु कहा। आप स० अ० ने उनके सलाम का जवाब दिया ।फिर वह मजलिस मे बैठ गये। आप स० अ० ने इरशाद फरमाया ,तीस। यानी यानी उनके सलाम करने की वजह से उन के लिए तीस नेकियाँ लिख दी गयीं। ( हवाला : अबू दाऊद )

इन अहादीस की रौशनी मे हमें यह देखने की ज़रूरत है कि आज हमने सलाम को कितना रिवाज दिया हुआ है। हमारी हाइ टेक फैसबुक वाटसएप जनरेशन मे से ज़यादातर तो हाय , हैलो को ही आदाब समझे हुए है। हालांकि इन शब्दों के कोई मानी भी नहीं है। जबकि अस्सलाम अलयकुम का मतलब होता है ,आप पर अल्लाह की सलामती हो। अस्सलाम अलयकुम वरहमतुल्लाह का मतलब होता है ,आप पर अल्लाह की सलामती और रहमत हो।अस्सलाम अलयकुम वरहमतुल्लाह व ब र कातुहु,- इसका मतलब होता है आप पर अल्लाह की सलामती ,रहमत और बरकत हो। इन सब के ऊपर नेकियों का वायदा है। इसके बाद भी अगर हम सलाम को रिवाज न दे तो हम बड़े बदनसीब हुए।

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