सन 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आयी थी. कांग्रेस की जो स्थिति 2014 और उसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में हुई, उससे भाजपा नेता ये तक बात करने लगे कि अब कांग्रेस का अंत नज़दीक है वहीं कांग्रेस के अपने कई बड़े नेता भाजपा के साथ चले गए. इन नेताओं में कई बड़े नाम हैं, इनमें वो नेता भी हैं जिन्हें राहुल गांधी की टीम का अहम् हिस्सा माना जाता था.
2019 लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस की बुरी शिकस्त हुई तो ये भगदड़ तेज़ हो गई. डूबते हुए जहाज़ में जिसके हाथ जो लगा उसका सहारा लेकर ये लोग दूसरी नाव में बैठने लगे. चुनावी गणित के लिहाज़ से देखें तो 2022 में भी कुछ नहीं बदला है लेकिन 2022 में कांग्रेस एक अलग रंग में दिख रही है. 2022 में कांग्रेस नेताओं के तेवर बिल्कुल बदले हुए हैं.
पिछले कुछ दिनों से भाजपा और कांग्रेस में सीधे टकराव की स्थिति बनती दिखी है. कांग्रेस ने महँगाई और बेरोज़गारी के मुद्दे पर बार-बार सरकार को घेरने की कोशिश की. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को ED के चक्कर भी लगाने पड़े हैं, इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी का भी नाम है. नेशनल हेराल्ड केस को लेकर ED आक्रामक दिख रही है तो इस पूरी कार्यवाई को कांग्रेस ग़लत बता रही है. कांग्रेस का कहना है कि ED केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर काम कर रही है और विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है.
पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के परिवार ऊपर कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. स्मृति ईरानी ने इसका विरोध तो किया लेकिन भाजपा के किसी बड़े नेता ने स्मृति के बचाव में कोई विशेष बयान नहीं दिया. स्मृति अकेली पड़ रहीं थीं तभी कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में एक ग़लत टिपण्णी कर दी जिसका उन्होंने बाद में खेद भी जताया. परन्तु इस बात को लेकर स्मृति ईरानी और भाजपा ने कांग्रेस पर तीख़ा प्रहार किया. इसी सब के बीच स्मृति का टकराव कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से हो गया. लोकसभा की कार्यवाई के बाद सदन में दोनों के बीच जो कहासुनी हुई वो दिन-भर मीडिया की सुर्ख़ियों में रही.
इन सब के बीच महँगाई और बेरोज़गारी पर कांग्रेस खुलकर स्टैंड लिए हुए है. 5 अगस्त को कांग्रेस सांसद काले कपड़े में नज़र आए और उन्होंने तय किया कि वो आज राष्ट्रपति भवन तक कूच करेंगे. इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ता और सांसद सड़कों पर नज़र आए. कांग्रेस के इस संसद से सड़क तक के अभियान में पुलिस और कांग्रेसी नेताओं के बीच जमकर खींचा-तानी हुई. कुछ वीडियोस में राहुल गांधी के ख़िलाफ़ पुलिस के लोग ज़बरदस्ती उन्हें हिरासत में लेने की कोशिश कर रहे हैं, कुछ इसी तरह का वीडियो उनकी बहन प्रियंका का भी सामने आया. प्रियंका कई बरिकेड्स को तोड़ते हुए आगे बढ़ जाती हैं और धरना देती हैं. उसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया. राहुल और प्रियंका को 6 घंटे हिरासत में रखने के बाद छोड़ दिया गया.
5 अगस्त के इस घटनाक्रम ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अन्दर जैसे जान सी फूँक दी है. कांग्रेसी पहले से ज़्यादा एग्रेसिव नज़र आ रहे हैं. कांग्रेस के इस आक्रामक रुख़ पर भाजपा नेता भी हैरान हैं. हालाँकि राजनीतिक विश्लेषक पहले ही ये कह रहे थे कि जुलाई के महीने में जिस तरह से कांग्रेस छोटे छोटे प्रदर्शन कर रही है, ये बड़े प्रदर्शन से पहले की प्रैक्टिस है. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस अपने अभियान को और तेज़ करेगी वहीं भाजपा और कांग्रेस में अब टकराव और बढ़ने की उम्मीद है.