आज 15 अगस्त है, आज के दिन हमारा देश आज़ाद हुआ था. 15 अगस्त, 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने पहली बार भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फहराया था. आज हम सभी देशवासियों के लिए तिरंगे झंडा हमारी आन-बान-शान का प्रतीक है. हम इस वीडियो में आपको हमारे तिरंगे झंडे का संक्षिप्त इतिहास बताने जा रहे हैं.
1946 तक आते आते ये तय हो गया था कि महात्मा गांधी और कांग्रेस के अहिंसक आन्दोलनों के आगे ब्रिटिश सरकार बेबस है. ब्रिटेन की कमज़ोर होती सत्ता ने आख़िर भारत से भागने का फ़ैसला किया. अब भारत की आज़ादी महज़ कुछ समय की बात थी, ऐसे में 1946 में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया. नवम्बर 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ और संविधान को लेकर चर्चाएँ शुरू हो गईं.
23 जून 1947 को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के चुने जाने को लेकर संविधान सभा ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया. इस समिति में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, डॉ बाबा साहब भीमराव आंबेडकर, सी राजगोपालाचारी, केएम् मुंशी, और सरोजनी नायडू थे. 14 जुलाई 1947 को समिति ने कुछ बदलाव के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज मानने की बात कही. ये बदलाव इसलिए ज़रूरी माने गए ताकि जो लोग कांग्रेस से जुड़े नहीं हैं वो भी राष्ट्रीय ध्वज को दिल से स्वीकारें.
समिति ने ये भी तय किया कि राष्ट्रीय ध्वज का डिज़ाइन ग़ैर-साम्प्रदायिक होगा. कांग्रेस के चरखे को हटाकर अशोक चक्र को झण्डे में जगह दी गई. हालाँकि चरखे को हटाकर अशोक चक्र को लाने का idea शुरू में गांधी जी को पसंद नहीं आया लेकिन बाद में वो मान गए. इसके बाद सुरैया तैयब जी ने इसका अंतिम स्वरुप तैयार किया. 14 अगस्त 1947 को रात 11 बजे जवाहर लाल नेहरु ने संसद के अन्दर पहला भाषण दिया जिसे ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ कहा जाता है और 15 अगस्त, 1947 को भारत के राष्ट्रीय ध्वज को पहली बार फहराया गया.
आख़िर में आपको बताते चलें कि जब राष्ट्रीय ध्वज को चुना जा रहा था तब भारत के वाइसराय लार्ड माउंटबेटन ने सुझाव दिया कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में ‘यूनियन जैक’ को भी जगह दी जाए. ‘यूनियन जैक’ यूनाइटेड किंगडम के झण्डे को कहा जाता है. माउंटबेटन चाहते थे कि ऊपर किनारे की तरफ़ ‘यूनियन जैक’ को जगह मिले लेकिन जवाहर लाल नेहरु ने इसको सिरे से नकार दिया.
आपको बता दें कि आज भी कई ऐसे देश हैं जो ब्रिटेन से आज़ाद हुए हैं लेकिन उनके झंडे में ‘यूनियन जैक’ भी है, इसमें ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड जैसे देश शामिल है. हालाँकि नेहरु ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया.