Zia Fariduddin Dagar ~ ज़िया फ़रीदुद्दीन डागर ध्रुपद शैली के महान गायक थे, जिनका जन्म 15 जून 1932 में राजस्थान के उज्जैन शहर में हुआ था। वे मशहूर डागर घराने से ताल्लुक रखते थे, जो कई पीढ़ियों से भारतीय शास्त्रीय संगीत, खासकर ध्रुपद गायकी की परंपरा को निभा रहा है। उनके पिता उस्ताद ज़ियाउद्दीन डागर और बड़े भाई उस्ताद ज़िया मोहीउद्दीन डागर खुद भी ध्रुपद के विद्वान कलाकार थे। बचपन से ही उन्हें घर में संगीत का माहौल मिला और उन्होंने गायन की गहरी शिक्षा अपने पिता और भाई से प्राप्त की।
ज़िया फ़रीदुद्दीन का जीवन पूरी तरह से ध्रुपद को समर्पित रहा। उन्होंने न केवल मंचों पर प्रस्तुति दी, बल्कि ध्रुपद के प्रचार-प्रसार और शिक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1970 और 80 के दशक में यूरोप और अमेरिका में कार्यक्रम किए और वहां ध्रुपद को एक आध्यात्मिक और गंभीर संगीत के रूप में स्थापित किया।
भारत लौटने के बाद उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्थापित ध्रुपद केंद्र, भोपाल में संगीत सिखाना शुरू किया। यहीं उन्होंने कई शिष्यों को तैयार किया, जिनमें गुंदेचा बंधु (उमाकांत और रामाकांत गुंदेचा) जैसे प्रसिद्ध कलाकार भी शामिल हैं। ज़िया फ़रीदुद्दीन मानते थे कि ध्रुपद केवल रागों की गायकी नहीं है, बल्कि यह एक साधना और आत्मिक अनुशासन है। उनके अनुसार, ध्रुपद से व्यक्ति अपने अंदर की शांति, एकाग्रता और विनम्रता को महसूस कर सकता है।
उनकी गायकी की विशेषता थी – गंभीरता, स्पष्ट उच्चारण, और स्वर की गहराई। उन्होंने ध्रुपद को उस दौर में जीवित रखा जब यह शैली लोकप्रियता की दौड़ में कहीं पीछे छूटती जा रही थी।
ज़िया फ़रीदुद्दीन डागर का निधन 8 मई 2013 को हुआ। लेकिन उनके जीवन का प्रभाव आज भी उनके शिष्यों और ध्रुपद प्रेमियों के बीच बना हुआ है। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के उन मौन साधकों में से थे जिन्होंने बिना किसी शोर-शराबे के एक परंपरा को जीवित रखा और अगली पीढ़ियों तक पहुँचाया।
Zia Fariduddin Dagar