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जैसा की आप जानते है की वज़ू केकितना ज़ायदा ज़रूरी है नमाज़ से पहले या क़ुरान के पढ़ने से पहले वज़ू बना ज़रूरी होता है, अक्सर देखा जाता है की वज़ू के टूटने को लेकर काफी लोगो में गलतफहमियां बानी होती है सही और दुरुस्त चीज़े काम ही लोगो को पता होती है आज हम आप से यह शेयर करने जा रहे है की वज़ू कब और किन चीज़ो से टूटता है-

( 1 ) पेशाब या पाख़ाना करना ( 2 ) पेशाब पाख़ाना के रास्तों से किसी भी चीज़ या पाख़ाना के रास्ता से हवा का निकलना( 3 ) बदन के किसी हिस्सा या किसी मकाम से खून या पीप निकल कर ऐसी जगह बहना कि जिस का वुजू या गुस्ल में धोना फर्ज है
( 4 ) खाना या पानी या खून या पित्त की मुंह भर कै हो जाना( 5 ) इस तरह सो जाना कि बदन के जोड ढीले पड़ जायें( 6 ) बेहोश हो जाना( 7 ) ग़शी तारी हो जाना( 8 ) किसी चीज़ का इस हद तक नशा चढ़ जाना कि चलने में कदम लड़खड़ायें( 9 ) दुखती हुई आख से पानी या कीचड़ निकलना( 10 ) रुकूअ सज्दा वाली नमाज़ में क़हक़हा लगा कर हंसना । ( आलमगीरी जि . 1 स . 11 वगैरह )

मसला : – वुज़ू के बाद किसी का सत्र देख लिया या अपना सत्र खुल गया । या ख़ुद बिल्कुल नंगे होकर वुज़ू किया या नहाने के वक्त नंगे ही नंगे वुज़ू किया तो वुज़ू नहीं टूटा । यह जो जाहिलों में मशहूर है कि अपना सत्र खुल जाने या दूसरे का सत्र देख लेने से वुज़ू टूट जाता है । यह बिल्कुल ग़लत है । हां अलबत्ता यह वुज़ू के आदाब में से है कि नाफ़ से ज़ानू के नीचे तक सब सत्र छुपा हो । बल्कि इस्तिन्जा के बाद फौरन ही छुपा लेना चाहिए क्योंकि बग़ैर ज़रूरत सत्र खुला रहना मना है और दूसरों के सामने सत्र खोलना हराम है ।

मसला : – अगर नाक साफ की उसमें से जमा हुआ ख़ून निकला तो वुज़ू नहीं टूटा और अगर बहता हुआ ख़ून निकला तो वुज़ू टूट गया । मसला : – छाला नोच डाला । अगर उसमें का पानी बह गया तो वुज़ू टूट गया । और अगर पानी नहीं बहा तो वुज़ू नहीं टूटा । मसला : – कान में तेल डाला था और एक दिन बाद वह तेल कान या नाक से निकला तो वुज़ू नहीं टूटा । मसला : – जख्म पर गढ़ा पड़ गया और उसमें से कुछ तरी चमकी मगर बही नहीं तो वुज़ू नहीं टूटा । मसला : – खटमल , मच्छर , मक्खी , पिस्सू ने खून चूसा तो वुज़ू नहीं टूटा । ( दुरै मुख्तार )

मसला : – क़ै में सिर्फ केंचुवा गिरा तो वुज़ू नहीं टूटा । और अगर उसके साथ कुछ पानी वगैरह भी निकला तो देखेंगे कि मुंह भर है या नहीं । अगर मुंह भर हो तो वुज़ू टूट जाएगा और अगर मुंह भर से कम हो तो वुज़ू नहीं टूटेगा । ( दुरै मुख्तार )मसलाः – वुज़ू करने के दर्मियान अगर वुज़ू टूट गया तो फिर शुरू से वुज़ू करे । यहां तक कि अगर चुल्लू में पानी लिया और हवा खारिज हो गई तो चुल्लू का पानी बेकार हो गया । उस पानी से कोई उज़्व न धोये । बल्कि दूसरे पानी से फिर से वुज़ू करे ।

मसलाः – दुखती हुई आंख , दुखती हुई छाती , दुखते हुए कान से जो पानी निकले वह नजिस हैं और उससे वुज़ू टूट जाता है । ( आलमगीरी जि . 1 स . 11 वगैरह ) मसलाः – किसी थूक में खून नजर आया तो अगर थूक का रंग ज़र्दी माइल है तो वुज़ू नहीं टूटा । और अगर थूक़ सुर्ख़ी माइल हो गया तो वुज़ू टूट गया । ( रद्दुल मुहतार जि . 1 स . 94 )
मसला : – वुज़ू के बाद नाख़ुन या बाल कटाया तो वुज़ू नहीं टूटा न वुज़ू को दुहराने की ज़रूरत न नाखून को धोने और न सर को मसह करने की जरूरत है ।

मसला : – अगर वुज़ू करने की हालत में किसी उज़्व के धोने में शक वाक़ेअ़ हुआ और यह जिन्दगी का पहला वाक़िआ़ है तो उस उज़्व को धो ले और अगर इस किस्म का शक अक्सर पड़ा करता है तो उसकी तरफ कोई तवज्जोह न करे । यूं ही अगर वुज़ू पूरा हो जाने के बाद शक पड़ जाये तो उसका कुछ ख़्याल न करे । ( आलमगीरी जि . 1 स . 13 )

मसला : – जो बावुज़ू था अब उसे शक है कि वुज़ू है या टूट गया तो उसको वुज़ू करने की ज़रूरत नहीं । हां वुज़ू कर लेना बेहतर है । जबकि यह शुबहा बतौर वसवसा न हुआ करता हो । और अगर वसवसा से ऐसा शुबहा हो जाया करता हो तो उस शुबहा को हरगिज़ न माने । इस सूरत में इहतियात समझ कर वुज़ू करना इहतियात नहीं बल्कि वसवसे की इताअ़त है । ( आलमगीरी जि . 1 स . 13 )

मसलाः – अगर बेवुज़ू था अब उसे शक है कि मैंने वुज़ू किया या नहीं तो वह यकीनन बिला वुज़ू है । उसको वुज़ू करना ज़रूरी है । ( आलमगीरी जि . 1 स . 13 वगैरह )
मसला : – यह याद है कि वुज़ू में कोई उज़्व धोने से रह गया । मगर मालूम नहीं कि वह कौन उज़्व था तो बायां पाँव धोले । दुरै मुख्तार जि . 1 स . 101 )
मसलाः – दूध पीते बच्चे ने कै की और दूध डाल दिया । अगर वह मुंह भर हैं नजिस है । दिरहम से ज़्यादा जगह में जिस चीज़ को लग जाये नापाक कर देगा । लेकिन अगर यह दूध पेट से नहीं आया बल्कि सीने तक पहुंच कर पलट आया तो पाक है । | दुर्दे मुख़्तार जि . 1 स . 93 )

मसला : – सोते में जो राल मुंह से गिरे अगरचे पेट से आये । अगरचे वह बदबूदार हो पाक है । दुरै मुख्तार जि . 1 स . 93 ) मसलाः – मुर्दे के मुंह से जो पानी बहे नापाक है । ( दुरै मुख्तार जि . स . 93 )
मसला : – मुंह से इतना खून निकला कि थूक लाल हो गया । अगर लोटे या कटोरे को मुंह लगाकर कुल्ली का पानी लिया तो लोटा , कटोरा और कुल पानी नजिस हो जाएगा । चुल्लू से पानी लेकर कुल्ली करे और हाथ धोकर कुल्ली के लिए पानी ले ।

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