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मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब अपने दौर के सबसे ता’क़तवर बादशाह थे. उनके दौर में भारत विश्व का सबसे शक्तिशाली देश था जिसकी अर्थव्यवस्था दुनिया की नंबर एक अर्थव्यवस्था थी लेकिन हम आज उनके शासन काल की नहीं कर रहे बल्कि हम बात कर रहे हैं उस एक वाक़ये की जब औरंगज़ेब 14 साल के थे. 28 मई 1633 को औरंगज़ेब ने शायद पहली बार ही इस दिलेरी का परिचय लोगों के सामने कराया था.

आने वाले दौर का बादशाह मुग़ल कंपाउंड में था तभी एक पागल हाथी ने हम-ला-आवर रुख़ ले लिया. जहाँ आस-पास खड़े सभी लोग अपनी जान बचा कर इधर उधर भागने लगे, औरंगज़ेब अपनी जगह पर खड़े रहे और जैसे ही हाथी उस पर हमला करने को हुआ, उसने अपने भाले से हाथी की सूंढ़ पर ज़ोरदार प्रहार किया. हाथी ज़-ख़्मी हो गया, 14 साल के औरंगज़ेब ने अपना जौहर दिखा दिया.

औरंगज़ेब के इस शानदार कारनामे से ख़ुश उसके पिता शाहजहाँ ने उसे “बहादुर” का ख़िताब दिया. जानकारी के लिए बता दें कि इस समय बादशाह शाहजहाँ ही थे. शाहजहाँ ने अपने “बहादुर” बेटे को सोने में तोला और 2 लाख रूपये के उपहार दिए. इस वाक़ये के बाद औरंगज़ेब ने कहा,”अगर हाथी से लड़ाई में मेरी जान भी चली जाती तो कोई शर्म की बात ना होती..मौ-त तो बादशाहों पर भी आती है, ये कोई ज़िल्लत नहीं..ज़िल्लत तो वो है जो मेरे भाइयों ने किया”. जब हाथी ने हमला किया उस वक़्त औरंगज़ेब के भाई अपनी जान बचाने में लग गए थे लेकिन औरंगज़ेब ने अपनी जगह से हटना ठीक ना समझा।

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