1)“हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अ० नबी करीम स० अ० से नक़्ल करते हैं कि एक मरतबा आप स० अ० ने इरशाद फ़रमाया, बताओ किसी शख़्स के दरवाज़े पर एक नहर जारी हो जिसमें वह पाँच मर्तबा रोज़ाना गुस्ल करता हो ।क्या उसके जिस्म पर मैल बाक़ी रहेगा।सहाबा रज़ि अ० ने अर्ज़ किया कि कुछ भी बाक़ी नहीं रहेगा। हूज़ूर स० अ० ने फ़रमाया ,यही हाल पाँचों नमाज़ों का है कि अल्लाह तआला इन की वज्ह से गुनाहों को ज़ाइल कर देते हैं।” ~ Namaz Padhna Kyun Zaroori
[ हवाला : मुस्लिम शरीफ़, बुखारी शरीफ़] 2) “हज़रत जाबिर रज़ि अ० नबी करीम स० अ० का इरशाद नक़्ल करते हैं कि पाँचों नमाज़ों की मिसाल ऐसी है कि किसी के दरवाज़े पर एक नहर हो जिस का पानी जारी हो और बहुत गहरा हो ।इस मे पाँच दफा रोज़ाना गुस्ल करे।” [ हवाला :मुस्लिम शरीफ़]
फायदा: जारी पानी गंदगी से पाक होता है ।और पानी जितना गहरा होगा उतना ही साफ़ होगा।और जितने साफ़ पानी से आदमी ग़ुस्ल करेगा उतनी ही स़फाई बदन पर आएगी। इस क़िस्म का मज़मून कई हदीसों मे मुखतलिफ सहाबा रज़ि अ० से मुखतलिफ अलफ़ाज़ मे नक़ल किया गया है।अबु सईद ख़ुदरी रज़ि अ० से नक़्ल किया गया है कि हुज़ूरे अक़दस स० अ० ने इरशाद फ़रमाया पाँचो नमाज़े दरमियानी औकात के लिए कफ़फारा हैं। यानी एक नमाज़ से दूसरी नमाज़ के वक़्त तक जो सगीरा गुनाह होते हैं वह नमाज़ की बरकत से माफ हो जाते हैं।
इसके बाद हुज़ूर स० अ० ने इरशाद फ़रमाया ,जैसे एक शख़्स का कोई कारखाना है, जिसमें वह कुछ कारोबार करता है।जिसकी वज्ह से उसके जिस्म पर गर्द गुबार, मैल कुचल लग जाता है।और उसके मकान और कारखाने के बीच पाँच नहरें पड़ती हैं ।जब वह कारखाने से घर जाता है तो हर नहर पर गुस्ल करता है।इसी तरह पाँचों नमाज़ों का हाल है कि जब कभी दरमियानी अवक़ात मे कुछ ख़ता ,लग़्ज़िश वगैरह हो जाती है तो नमाज़ मे दूआए अस्तग़फ़ार करने अल्लाह तआला इसको माफ़ फ़रमा देते हैं। ~ Namaz Padhna Kyun Zaroori