गुजरात की राजनीति में गुरुवार को बड़ा बदलाव देखने को मिला जब मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मंत्रिमंडल के सभी 16 मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया। सरकार के प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बीबीसी से बात करते हुए इस खबर की पुष्टि की। नई मंत्रिपरिषद शुक्रवार को महात्मा मंदिर में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में शपथ लेगी।
इस्तीफ़ा देने वालों में आठ कैबिनेट मंत्री और आठ राज्य मंत्री शामिल हैं। माना जा रहा है कि यह कदम भाजपा के अंदर बढ़ते असंतोष और सत्ता-विरोधी माहौल को देखते हुए उठाया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा 2026 के स्थानीय निकाय चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले जनता में नई ऊर्जा और संतुलन लाने की कोशिश कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक घनश्याम शाह ने कहा कि “भाजपा अब उसी स्थिति में पहुंच गई है जिसमें कांग्रेस 1985 में थी — जब विपक्ष लगभग न के बराबर था और पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ रहा था।”
वहीं, विश्लेषक विद्युत जोशी के अनुसार, “यह बदलाव दरअसल सत्ता विरोधी लहर को थामने की रणनीति है। भाजपा सरकार अपनी ही गलतियों का ठीकरा पुराने मंत्रियों पर फोड़ते हुए नई शुरुआत करना चाहती है।”
सौराष्ट्र क्षेत्र से आने वाले वरिष्ठ पत्रकार कौशिक मेहता ने बताया कि “पिछले कुछ वर्षों में सौराष्ट्र और लेउवा पटेल समुदाय के बीच नाराज़गी बढ़ी है। नया मंत्रिमंडल इस असंतुलन को दुरुस्त करने की कोशिश होगा।”
भाजपा सूत्रों के अनुसार, नए मंत्रिमंडल में सौराष्ट्र और ओबीसी समुदायों को प्रमुख प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। पार्टी का उद्देश्य है कि सत्ता-विरोधी माहौल को शांत कर आगामी चुनावों से पहले संगठन में एकजुटता और उत्साह लाया जा सके।