The 1720 Cristofori piano in the Metropolitan Museum in New YorkThe 1720 Cristofori piano in the Metropolitan Museum in New York

17वीं शताब्दी के ख़त्म होते होते रिनेसा (पुनर्जागरण) अगले पड़ाव की ओर दुनिया को छोड़ रहा था और यूरोप प्रबोधन युग में दाख़िल हो चुका था। जिस तरह से दुनिया बदल रही थी, उसी तरह संगीत भी अपनी नई दिशा की तलाश में था। इसी समय वाद्ययंत्रों को लेकर संगीतकार नए नए प्रयोग करने में लगे थे।

इन्हीं प्रयोगों के बीच हार्पसिकॉर्ड और क्लैविकॉर्ड जैसे कीबोर्ड वाद्य मशहूर हुए लेकिन इन यंत्रों की एक बड़ी परेशानी थी और वो ये कि इनमें ध्वनि की तीव्रता को नियंत्रित नहीं किया जा सकता था। इसका मतलब ये है कि चाहे कोई बटन (की) धीरे दबाएँ या तेज़, आवाज़ एक जैसी ही रहती थी। इसी परेशानी का हल निकालने की कोशिश में बार्तोलोमियो क्रिस्टोफ़ोरी ने पियानो नामक वाद्ययंत्र का आविष्कार किया।

वो इटली के पदुआ शहर के महान कारीगर और कुशल हार्पसिकॉर्ड निर्माता थे। उन्हें तार वाले वाद्य यंत्रों की तकनीकी संरचना और बनावट की अच्छी समझ थी। इसी अनुभव की मदद से उन्होंने दुनिया को पहला पियानो दिया। वो टस्कनी के ग्रैंड प्रिंस फर्डिनांडो डी मेडिची के दरबार में संगीत यंत्रों के संरक्षक का काम करते थे।

बार्तोलोमियो क्रिस्टोफ़ोरी
Bartolomeo Cristofori (बार्तोलोमियो क्रिस्टोफ़ोरी)

अपनी जानकारी और तकनीकी समझ का इस्तेमाल करके ही उन्होंने सन 1700 के आस पास Un cimbalo di cipresso di piano e forte (धीमी और ऊँची आवाज़ वाला साइप्रस लकड़ी का कीबोर्ड) की खोज की। कुछ ही समय में इसे लोग पियानोफ़ोर्त या फ़ोर्तपियानो कहने लगे और आख़िर में पियानो ही इसका नाम रह गया। “Piano” का अर्थ है ‘धीरे’, और “Forte” का ‘तेज़’।

इस यंत्र से कलाकार पहली बार संगीत की भावना के साथ ध्वनि की तीव्रता भी नियंत्रित कर सके — यही वह क्षण था जिसने संगीत को नया युग दिया।

उन्होंने एक ऐसे तारयुक्त कीबोर्ड वाद्ययंत्र का निर्माण किया जिसमें ध्वनि उत्पन्न करने के लिए हथौड़े सा प्रहार होता था। साथ ही उन्होंने सुनिश्चित किया कि हथौड़ा तार को छू कर छोड़ दे, अगर वो तार से चिपका रहता तो कंपन रुकता और ध्वनि भी थम सी जाती। क्रिस्टोफ़ोरी के शुरुआती पियानो आजकल के आधुनिक पियानो की तुलना में कम ध्वनि पैदा करने वाले थे। उनके वाद्ययंत्रों में पतली तारें थीं, जिनसे स्वर मधुर और गूंजदार तो होता था, पर तीव्रता सीमित रहती थी।

The Cristofori piano action
The Cristofori piano action

क्लैविकॉर्ड उस समय का एकमात्र वाद्ययंत्र था जो बटन दबाने के हिसाब से ध्वनि में कुछ (हालाँकि बहुत थोड़ा) बदलाव ला सकता था लेकिन इसकी सबसे ऊँची ध्वनि भी बहुत धीमी होती थी। इसके विपरीत हार्पसिकॉर्ड तेज़ आवाज़ तो देता था, मगर उसमें स्वर की तीव्रता या भाव बदलने की कोई संभावना नहीं थी।

क्रिस्टोफ़ोरी के पियानो ने इन दोनों वाद्ययंत्रों की ख़ूबियों को जोड़कर पेश किया। पियानो से ऊँची ध्वनि भी पैदा होती थी और स्पर्श के अनुसार ये स्वर की गहराई और भाव को बदल सकता था।

 

The 1726 Cristofori piano in the Musikinstrumenten-Museum in Leipzig
The 1726 Cristofori piano in the Musikinstrumenten-Museum in Leipzig

बहुत सालों तक क्रिस्टोफ़ोरी के इस नए वाद्ययंत्र का लोगों को पता ही नहीं चला। सन 1711 में इतालवी लेखक सीपियों मैफ़ी ने बाक़ायदा डायग्राम के साथ क्रिस्टोफ़ोरी के पियानो का उल्लेख किया। इस आर्टिकल का जर्मन भाषा में भी अनुवाद हुआ। इसका प्रभाव ये पड़ा कि पियानो बनाने वालों ने आगे चलकर इसी आर्टिकल को पढ़कर पियानो बनाए। इसी को देख समझ कर गॉटफ़्राइड सिल्बरमैन ने पियानो बनाए जोकि लगभग क्रिस्टोफ़ोरी के पियानो की कॉपी थे। हालांकि सिल्बरमैन ने कुछ बदलाव भी इसमें किए, इन बदलावों पर पियानो के आगे के सफ़र पर हम बात करेंगे लेकिन इसी श्रृंखला के अपने अगले लेख में।

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टाइमलाइन
1700 – बार्तोलोमियो क्रिस्टोफ़ोरी का आविष्कार – इटली के फ्लोरेंस में पहला “पियानोफोर्ते” बना – पहली बार “धीरे” और “तेज़” ध्वनि का नियंत्रण संभव हुआ।
1770 – मोज़ार्ट और क्लासिकल युग – यूरोपीय दरबारों में पियानो की लोकप्रियता – पियानो ‘संगीत सभ्यता’ का प्रतीक बना
1800 – औद्योगिक क्रांति – स्टील फ्रेम और तीन तारों की नई प्रणाली – ध्वनि का वॉल्यूम बढ़ा, पियानो और मज़बूत हुआ
1850–1900 – ग्रैंड पियानो का स्वर्ण युग – Steinway, Bösendorfer, Bechstein जैसे ब्रांड स्थापित हुए – घरों और थिएटरों में पियानो ‘स्टेटस सिंबल’ बना।
1920 – जैज़ और सिनेमा का दौर – अमेरिका में जैज़ क्लबों का जन्म – पियानो आम जनता की संस्कृति का हिस्सा बना
1980 – डिजिटल क्रांति – Yamaha, Roland और Kawai के इलेक्ट्रॉनिक मॉडल – पारंपरिक ध्वनि और तकनीक का मिलन
2000 से अब तक – स्मार्ट और हाइब्रिड पियानो – सेंसर, ऐप्स और डिजिटल सिंथेसिस – “स्मार्ट इंस्ट्रूमेंट” बना पियानो