हज़रत अनस रज़ि अ० फ़रमाते है कि हुज़ूरे अकरम स० अ० के सात सात सहाबा रज़ि अ० सिर्फ एक खुजूर चूस कर गुज़ारा करते थे और गिरे हुए पत्ते खाया करते थे।जिस की वज्ह से उनके जबड़े सूज जाते थे।हज़र अबू हुरैरा रज़ि अ० फ़रमाते हैं कि एक दिन मुझे सख़्त भूक लगी। भूक की वजह से मै घर से मस्जिद की तरफ चला।मूझे हुज़ूर स० अ० के चंद सहाबा रज़ि अ० मिले। उन्होंने कहा कि ऐ अबू हुरैरा तुम किस वजह से इस वक़्त बाहर आये हो ?.मैने कहा सिर्फ भूक की वज्ह से।उन्होंने अर्ज़ किया अल्लाह की कसम.,हम भी सिर्फ भूक की वज्ह से बाहर आये हैं। हम वहाँ से उठे और हुज़ूरे अकरम स० अ० की खिदमत मे हाज़िर हुए।
तुम लोग इस वक़्त कयों आये हो ? हम ने अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह.( स० अ०) भूक की वज्ह से।हुज़ूरे अकदस स० अ० ने एक तबाक़ मंगाया जिसमें खुजूरें थीं।आप स० अ० ने हम मे से हर आदमी को दो दो खुजूरें दीं।और फ़रमाया कि यह दो खुजूरें खा लो और ऊपर से पानी पी लो।इंशा अल्लाह यह आज के दिन के लिए काफ़ी हो जायेंगी। हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अ० फ़रमाते हैं कि मैने एक खुजूर खा ली और दूसरी अपनी लूंगी मे रख ली। हुज़ूर स० अ० ने फ़रमाया ! ऐ अबू हुरैरा ! तुम ने यह खुजूर क्यों रख ली? मैने कहा कि मैने अपनी वालिदा के लिए रख ली है।
आप.स० अ० ने इरशाद फ़रमाया कि इसे खा लो।हम तुम्हें तुम्हारी वालिदि के लिए दो खुजूरें और दे देंगे। चुनांचे आप स० अ० ने वालिदा के लिए दो खुजूरें और इनायत फ़रमा दी। ( हयातुस सहाबा )/ यह है सहाबा रज़ि अ० का अखलाक, सुबहान अल्लाह। और हम लोग जो अपने नबी हुज़ूरे अकरम स० अ० के नाम का दम भरते हैं , अगर घर मे बनी किसी सब्जी मे ज़रा सा नमक भी कम हो जाये तो बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं ।दूसरी तरफ़ हमारे नबी और उनके सहाबा रज़ि अ० थे जो एक एक या दो दो खुजूरों पर गुज़ारा कर लिया करते थे।