आखरी न’बी को खु’दा ने सारी दुनि’या के लिए रह मत उल आले मिन बना कर भेजा। हम सभी लोगों के खुश नसीबी है कि मो’ह’म्म’द स’ल्ल’ल्ला’हो अलै’हि वस’ल्ल’म के उम्मती है। लेकिन हम सभी न’बी की नाफर मानी भी करते हैं। हुजुर पाक कया मत के दिन हमारी शिफा यत करेंगे और कया मत के दिन हुजुर पाक खु’दा से दरयाफ़्त करेंगे या खु’दा मुझे आप मेरे उम्म’ती के अमाल नामा दे दीजिए ताकि मैं हिसाब करूं। खु’दा फरमा एंगे कि नहीं आप अपने उम्म तियों।
के अमाल नामा देखि एगा तो आपको श’र्म आएगी इस लिए मैं पर्दे में उनसे सवाल करुंगा। हमारे न’बी इतना ख्याल रखते लेकिन उनके उम्मती बड़ा उन्हें हमेशा तक लीफ देते है। ऐसे ही रिवायत है कि हुज़ुर को सबसे ज्यादा तकलीफ़ पहुंचीं। हुजुर पर तवाफ वाले प’त्थर मारते थे। एक बार इतना प’त्थर मा’रा कि हुजुर के पैर मुबा रक ज’ख्मी हो गए। हुज़ूर बेहो’श होकर गिर गए।
आप के नौकर जै’द उन्हें करें पर बिठा कर भागे। सामने उन्हें बाग दिखा जो कि हुज़ूर के दु’श्मन का था। वो बाग उतबा का था जोकि ज’गं ए बद’र में झंडा लेकर खड़ा था। उसे भी हुज़ूर पर रहम आ गया। उतबा जो हु’ज़ूर के खु’न का प्यासा’ था उसने अपने नौकर के हाथों अंगुर भेजा जिसे हुज़ू’र ने क’बुल किया। हुज़ूर को देखते ही उसने उन पर ईमान ले आया।
उस वक्त हुज़ूर स’ल्ल’ल्ला’हो अ’लैहि वस’ल्लम ने दुआ कि या खु’दा तुने मुझे उन लोगो के सु’पुर्द कर दिया जिन्होंने मेरा ये हाल कर दिया। तब क्या था सातों आस मान कापं उठा। जिब्रि इल अलै’हि सला’म ने फ़र माया बोले इनके साथ क्या करें आप बताएं। लेकिन हु’ज़ूर ने फ़र माया कि मै इस दुनिया में रह मत बन कर आया हूं। ये नहीं शायद इनकी नस्ल में कोई इमान लेकर आ जाए।