रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने बुधवार को वर्ष 2025 का रसायन विज्ञान (Chemistry) का नोबेल पुरस्कार जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों — सुज़ुमु कितागावा (Susumu Kitagawa), रिचर्ड रॉब्सन (Richard Robson) और ओमर एम. याघी (Omar M. Yaghi) — को प्रदान किया है।

इन वैज्ञानिकों को मेटल-ऑर्गैनिक फ्रेमवर्क्स (Metal-Organic Frameworks – MOFs) के विकास के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया है। इन ढांचों को उन्होंने ऐसे आणविक निर्माण (molecular constructions) के रूप में विकसित किया है जिनमें बड़े-बड़े रिक्त स्थान होते हैं, जिनसे गैसें और रासायनिक पदार्थ आसानी से प्रवाहित हो सकते हैं।

नोबेल कमेटी के अनुसार, इन ढांचों का उपयोग रेगिस्तानी हवा से पानी निकालने, कार्बन डाइऑक्साइड को कैद करने, विषैले गैसों को संग्रहित करने और रासायनिक अभिक्रियाओं को तेज़ करने (catalysis) जैसे कई उपयोगी कार्यों में किया जा सकता है।

नोबेल कमेटी के अध्यक्ष हाइनर लिंके (Heiner Linke) ने कहा, “मेटल-ऑर्गैनिक फ्रेमवर्क्स में अपार संभावनाएँ हैं। इनसे नई कार्यक्षमताओं वाले पदार्थों को तैयार करने के अभूतपूर्व अवसर मिले हैं।”

पिछले वर्ष 2024 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार डेविड बेकर, डेमिस हासाबिस और जॉन जंपर को प्रोटीन डिजाइन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से जीवन के आधारभूत ढांचे को समझने के लिए दिया गया था।

इस वर्ष के नोबेल विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (करीब 1.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की पुरस्कार राशि साझा रूप से दी जाएगी। पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में आयोजित किया जाएगा, जो नोबेल पुरस्कारों के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि का दिन है।