कई महीनों तक चले खूनी संघर्ष के बाद इज़राइल और हमास के बीच युद्धविराम और बंधक अदला-बदली समझौते पर सहमति बन गई है। यह समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता में हुआ है और इसे गाज़ा युद्ध समाप्त करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, इस समझौते के तहत हमास आने वाले दिनों में सभी जीवित बंधकों को रिहा करेगा, जबकि इज़राइली सेना गाज़ा के अधिकांश हिस्सों से चरणबद्ध तरीके से पीछे हटना शुरू करेगी। फिलहाल, 48 बंधकों में से लगभग 20 के जीवित होने की पुष्टि की गई है।

हालाँकि समझौते की आधिकारिक घोषणा और हस्ताक्षर गुरुवार देर शाम मिस्र में होने की संभावना है, लेकिन इस बीच उत्तरी गाज़ा में इज़राइली हमले जारी हैं। इज़राइली सेना का कहना है कि वह उन ठिकानों पर कार्रवाई कर रही है जो “सुरक्षा खतरा” पैदा कर सकते हैं।

इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार रात सुरक्षा कैबिनेट की बैठक बुलाई है, जिसके बाद संसद (कैनेसेट) फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई को मंज़ूरी देगी। वहीं, हमास ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों से अपील की है कि वे सुनिश्चित करें कि इज़राइल समझौते की शर्तों — सैनिकों की वापसी, राहत सामग्री की आपूर्ति और कैदियों की अदला-बदली — को समय पर लागू करे।

मिस्र में होने वाले इस समझौते के पहले चरण में गाज़ा से वापसी की रूपरेखा और रिहा होने वाले कैदियों की सूची शामिल होगी। इज़राइल इस सूची को सार्वजनिक करेगा, जिसके बाद पीड़ित परिवारों को 24 घंटे का समय दिया जाएगा आपत्ति दर्ज कराने के लिए।

समझौते के तहत सीमा पार व्यापार और राहत सामग्री के लिए पाँच बॉर्डर क्रॉसिंग फिर से खोले जाएंगे, जिनमें रफ़ा क्रॉसिंग भी शामिल है। शुरुआती चरण में प्रतिदिन 400 ट्रक गाज़ा में प्रवेश करेंगे, जिनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़कर 600 तक की जाएगी।

ट्रम्प की मध्यस्थता वाली योजना के अनुसार, गाज़ा की बाहरी सीमाओं पर इज़राइली उपस्थिति बनी रहेगी, जबकि भीतर सुरक्षा व्यवस्था एक अंतरराष्ट्रीय बल के हवाले की जाएगी। इस बल में अरब और मुस्लिम देशों के सैनिक शामिल होंगे। अमेरिका गाज़ा के पुनर्निर्माण का नेतृत्व करेगा।

हालाँकि, इस योजना में भविष्य के फ़िलिस्तीनी राज्य को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है।

7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले से शुरू हुआ यह युद्ध अब तक गाज़ा को खंडहर में बदल चुका है। इस संघर्ष में अब तक 67,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं और 1.7 लाख से अधिक घायल हुए हैं। इनमें अधिकांश महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं।