Islam Mein Peeth Peeche Burai Karna Bura Hai ~ 1) हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अन्हु से रिवायत है कि रसूल अल्लाह स०अ० ने इरशाद फ़रमाया : क्या तुम जानते हो कि ग़ीबत किस को.कहते हैं ? सहाबा रज़ि अं० ने अर्ज़ किया : अल्लाह के रसूल ही ज़यादा जानते हैं। आप स० अ० ने इरशाद फ़रमाया :अपने भाई( की गैर मौजूदगी मे ) के बारे मे ऐसी बात कहना जो उसे नागवार गुज़रे। किसी ने अर्ज़ किया अगर मै अपने भाई के कोई ऐसी बुराई का ज़िक्र करुँ जो वाक़्यतन उस मे हो ? ( तो क्या यह भी ग़ीबत है?) आप स० अ० ने इरशाद फ़रमाया : अगर वह बुराई जो तुम बयान कर रहे हो ,उसमें मौजूद है तो तुमने उस की ग़ीबत की। और अगर वह बुराई ( जो तुम बयान कर रहे हो ) ,उसमें मौजूद ही न हो तो फिर तुम ने उस पर बोहतान बांधा। [ हवाला : मुस्लिम शरीफ़ ]
2) हज़रत अबू दरदा रज़ि० अ० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह स०अ० ने इरशाद फ़रमाया कि जो शख्स किसी को बदनाम करने के लिए उसमें ऐसी बुराई बयान करे जो उसमें न हो तो अल्लाह तआला उसे दोज़ख की आग मे कैद रखेगा, यहाँ तक कि वह उस बुराई को साबित कर दे। ( जबकि वह साबित कर नहीं सकता है. [ हवाला : तिबरानी]
3) हज़रत अनस बिन मालिक रज़ि अ० रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह ने इरशाद फरमाया कि जब मै मैराज पर गया तो मेरा गुज़र कुछ ऐसे लोगों पर हुआ जिन के नाख़ुन तांबे के थे जिन से वह अपने चेहरों और सीनों को नोच कर ज़ख्मी कर रहे थे। मैने जिबरईल अ० स० से पूछा ये कौन लोग हैं ? जिबरईल अ० स० ने बताया कि यह लोग इंसानों का गोश्त खाया करते थे यानी उनकी गीबते किया करते थे और उनकी आबरु रेज़ी किया करते थे।
[ हवाला : अबू दाऊद] (इन हदीसों की रोशनी मे हम लोगों को अपना महासबा भी कर लेना चाहिए कि हम सुब्ह से लेकर शाम तक सिर्फ दिल्लगी के लिए किस किस की गीबत करते हैं । जबकि गीबत की कितनी सख्ती से मनाही है।) ~ Islam Mein Peeth Peeche Burai Karna Bura Hai