दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने के प्रयासों के बीच, पिछले वर्ष वैश्विक कोयला खपत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। बुधवार को जारी स्टेट ऑफ क्लाइमेट एक्शन रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि बिजली उत्पादन में कोयले का हिस्सा घटा जरूर है, लेकिन बिजली की मांग तेजी से बढ़ने के कारण कुल कोयला उपयोग में इजाफा दर्ज किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए तय किए गए लक्ष्य कई देशों से दूर होते जा रहे हैं, जिससे जलवायु संकट से निपटना और कठिन होता दिख रहा है।
वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टिट्यूट की शोधकर्ता क्लिया शूमर ने चेतावनी देते हुए कहा, “हम सही दिशा में तो बढ़ रहे हैं, लेकिन रफ्तार बेहद धीमी है। लगातार पांचवीं रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कोयले को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के प्रयास बिल्कुल भी ट्रैक पर नहीं हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर कोयले की खपत इसी तरह बढ़ती रही, तो वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना असंभव हो जाएगा। संदेश साफ है—जब तक कोयला रिकॉर्ड स्तर पर जलता रहेगा, जलवायु लक्ष्य दूर ही रहेंगे।”
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जहां 2021 में अधिकांश देशों ने कोयला उपयोग कम करने का संकल्प लिया था, वहीं इस वर्ष भारत ने 1 अरब टन से अधिक कोयला उत्पादन का जश्न मनाया। इसके साथ ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी फिर से कोयला और जीवाश्म ईंधनों के समर्थन की घोषणा की है।