न्यूयॉर्क: डीएनए की दोहरी कुंडली (डबल हेलिक्स) संरचना की खोज करने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वॉटसन के शोध ने मानव आनुवंशिकी (ह्यूमन जेनेटिक्स) के अध्ययन और आधुनिक जैव-प्रौद्योगिकी की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की नींव रखी थी।
वॉटसन को वर्ष 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने यह सम्मान अपने सहयोगियों फ्रांसिस क्रिक और मॉरिस विल्किंस के साथ साझा किया था, जिन्होंने मिलकर डीएनए की ‘डबल हेलिक्स’ संरचना की खोज की थी — जो जीवन विज्ञान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ माना जाता है।
कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी (Cold Spring Harbor Laboratory), जहां वॉटसन लंबे समय तक कार्यरत रहे, ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए इस खोज को “जीवन विज्ञान का एक निर्णायक क्षण” बताया। उनके बेटे ने कहा कि वॉटसन का निधन एक संक्षिप्त बीमारी के बाद हॉस्पिस देखभाल के दौरान हुआ।
डीएनए की संरचना की खोज ने आनुवंशिक अनुसंधान, रोगों के इलाज और अपराध विज्ञान (Criminology) में डीएनए सैंपल के उपयोग जैसे कई क्षेत्रों में नए द्वार खोले। स्वयं वॉटसन ने एक बार कहा था, “फ्रांसिस क्रिक और मैंने शताब्दी की (सबसे बड़ी) खोज की थी, यह बात तब ही साफ़ थी।” बाद में उन्होंने लिखा कि वे “डबल हेलिक्स के विज्ञान और समाज पर इतने गहरे प्रभाव” की कल्पना नहीं कर सकते थे।
डीएनए की दोहरी कुंडली — एक लंबी, मुड़ी हुई सीढ़ी जैसी आकृति — आज वैज्ञानिक दुनिया का प्रतीक बन चुकी है। कहा जाता है कि जब वॉटसन ने पहली बार इस संरचना की कल्पना की थी, तो उन्होंने प्रतिक्रिया दी थी, “यह कितनी सुंदर है।”
हालांकि वॉटसन का वैज्ञानिक योगदान जितना बड़ा था, उतना ही विवादास्पद उनका सार्वजनिक जीवन रहा। उन्होंने बार-बार ऐसे विचार रखे जो वैज्ञानिक समुदाय और समाज दोनों में निंदा के पात्र बने।
वर्ष 2007 में एक साक्षात्कार के दौरान वॉटसन ने दावा किया था कि “अफ्रीकी मूल के लोगों की बुद्धिमत्ता श्वेत लोगों से कम होती है।” इस बयान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया हुई और उन्हें कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी के चांसलर पद से हटा दिया गया।
2019 में दिए गए एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उनके विचारों में बदलाव नहीं आया है। प्रयोगशाला ने उनके इस बयान को “अवैज्ञानिक” और “घृणास्पद” बताते हुए उसकी निंदा की थी।
अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ के तत्कालीन निदेशक फ्रांसिस कॉलिन्स ने कहा था, “वॉटसन के विचार, विशेषकर नस्ल पर आधारित टिप्पणियाँ, गहराई से भ्रामक और आहत करने वाली थीं। काश, उनका मानवता पर दृष्टिकोण उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण जितना ही प्रबुद्ध होता।”
वॉटसन की खोज ने विज्ञान को नई दिशा दी, लेकिन उनके विवादास्पद विचारों ने उनकी विरासत को एक जटिल और विभाजित रूप में छोड़ दिया है — एक ऐसा वैज्ञानिक, जिसकी प्रतिभा ने दुनिया को बदल दिया, पर जिनके शब्दों ने अक्सर उसे ठहरकर सोचने पर मजबूर कर दिया।
