लखनऊ।
आज भाकपा (माले) की बसंत कुंज ब्रांच के एक प्रतिनिधिमंडल ने ज़िलाधिकारी लखनऊ और लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन अकबरनगर से विस्थापित हुए परिवारों की दुर्दशा और बसंत कुंज योजना सेक्टर-आई में जारी पुनर्वास संकट के संबंध में था, जहाँ ये परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के अंतर्गत बसाए गए हैं। प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे:
1. शकील जोगी
2. शौकत अली
3. मोहम्मद आलम
4. मोहम्मद इरशाद
5. मोहम्मद मुशीर
6. शांतम निधि
प्रतिनिधिमंडल ने एलडीए के विशेष कार्याधिकारी (OSD) रविनंदन सिंह से मिलने का प्रयास भी किया, लेकिन उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को देखकर अपने कक्ष से निकलने से इनकार कर दिया और कार्यालय से चले गए। यह रवैया जनता और लोकतंत्र के प्रति गहरी अवमानना को दर्शाता है।
ज्ञापन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 6 मार्च 2024 के आदेश (राजू साहू बनाम उत्तर प्रदेश सरकार, Writ-C 1372/2024) और PMAY व यूपी इन-सिटू पुनर्वास नीति 2021 का हवाला देते हुए तीन प्रमुख माँगें रखी गईं:
1. सभी किस्तें माफ की जाएं और मुख्यमंत्री राहत कोष से पारदर्शी सहायता प्रणाली लागू की जाए।
2. पाँच या उससे अधिक सदस्यों वाले परिवारों को दूसरा फ्लैट प्रदान किया जाए।
3. उजाड़े जाने के दौरान हुई सम्पत्ति और आजीविका की क्षति का मुआवज़ा दिया जाए।
इसके साथ ही पहले से उल्लिखित 22 नागरिक सुविधाओं की बहाली की माँग को दोहराया गया और एक समयबद्ध कार्ययोजना प्रस्तुत की गई।
शकील जोगी, अध्यक्ष, बसंत कुंज संघर्ष समिति ने कहा:
“जब सरकार ने हमें उजाड़ा, तब उसने वादा किया था कि हमें बसाया जाएगा। लेकिन अब हमें न जीने की जगह मिल रही है, न इंसान की तरह जीने का हक़। हम अदालत भी गए, लेकिन सरकार अब अदालत के आदेशों की भी अनदेखी कर रही है। यह अन्याय अब नहीं सहा जाएगा।”
शांतम निधि, सदस्य, ज़िला नेतृत्व टीम, भाकपा (माले) लखनऊ ने कहा:
“रहने के नाम पर हमें खंडहर दिए गए हैं, और नागरिक सुविधाओं के नाम पर खामोशी। जब OSD रविनंदन सिंह हमारे सामने से भाग खड़े हुए, तो यह साफ हो गया कि सरकार के पास जवाब नहीं है। लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे — यह सवाल केवल बसंत कुंज का नहीं, लोकतंत्र और इंसानियत का है। अगर सरकार ने अदालत के आदेश नहीं माने, तो हम जनांदोलन तेज़ करेंगे और कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे।”