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साल 1881 का था जब फ़्रांस की फ़ौज ने ट्यूनीशिया पर आक्रमण कर दिया. 1869 में आर्थिक रूप से दिवालिया घोषित हो चुके देश के पास लड़ने का कोई रास्ता न था. फ़्रांस के आक्रमण का कोई माक़ूल जवाब न होने की वजह से ट्यूनीशिया के शासक मुहम्मद अस सादिक़ ने एक ट्रीटी के ज़रिए ट्यूनीशिया को फ़्रांस के हवाले कर दिया. ट्यूनीशिया ने अपनी आज़ादी के लिए बड़ा संघर्ष किया और आख़िर उसे दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद आज़ादी का सूरज देखने को मिला.

फ़्रांस और ट्यूनीशिया के बीच राजनीतिक हालात अब काफ़ी बेहतर हैं लेकिन खेल के मैदान पर जब इन दोनों देशों का मुक़ाबला होता है तो माहौल बिलकुल वैसा होता है जैसा अपने यहाँ क्रिकेट में भारत और पाकिस्तान के मैच का होता है. कुछ यही हुआ तब जब क़तर में चल रहे फुटबॉल वर्ल्ड कप के ग्रुप लीग मैच में फ़्रांस और ट्यूनीशिया की टीमें आमने-सामने आयीं. इस मैच के नतीजे से यूँ तो फ़्रांस की ग्रुप स्टैंडिंग पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ना था लेकिन ट्यूनीशिया की जीत उसे आगे बढ़ने का मौक़ा दे सकती थी लेकिन उसके लिए एक शर्त थी. शर्त ये थी कि डेनमार्क अपने मैच में ऑस्ट्रेलिया को हरा दे.

ट्यूनीशिया और फ़्रांस का मैच और ऑस्ट्रेलिया-डेनमार्क का मैच बिलकुल एक समय पर चल रहा था. बात अगर फ़्रांस और ट्यूनीशिया के मैच की करें तो पहले हाफ़ में मुक़ाबला बराबरी पर था और किसी टीम ने कोई गोल नहीं किया था. दूसरे हाफ़ में ट्यूनीशिया ने गोल कर दिया और उसको निर्णायक बढ़त मिल गई पर ख़बर आयी कि ऑस्ट्रेलिया ने भी डेनमार्क के ख़िलाफ़ गोल कर दिया है. एक समय ऐसा भी आया जब ट्यूनीशिया के फैन्स और ग्राउंड स्टाफ़ अपने मोबाइल पर ऑस्ट्रेलिया और डेनमार्क का मैच देख रहे थे, हालाँकि वो मैच पूरा हो गया और ऑस्ट्रेलिया अगले राउंड में पहुँच गया.

अब इस मैच से वर्ल्ड कप की स्टैंडिंग पर कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ना था. अब अगर ट्यूनीशिया जीत भी जाए तो भी वो अगले राउंड में नहीं पहुँच पाएगी. मैच का टाइम पूरा होने पर 8 मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया था और जब ऐसा लगा कि ट्यूनीशिया ये मैच जीत जाएगा तभी फ़्रांस ने आख़िरी सेकंड्स में गोल कर दिया. ट्यूनीशिया के फैन्स आँसुओं में डूब गए. ट्यूनीशिया के खिलाड़ियों ने VAR की अपील की जिसे रेफरी ने मान लिया.

VAR में इस गोल को ऑफ़ साइड करार दे दिया गया जिसके बाद स्कोर लाइन फिर 1-0 हो गई और ट्यूनीशिया के फैन्स झूम उट्ठे. हालाँकि इस जीत के बाद भी ट्यूनीशिया अगले राउंड में नहीं पहुँच सकी लेकिन फ़्रांस पर जीत ने उसे अपने ऊपर हुए शोषण के ख़िलाफ़ जीत का स्वाद दिया.

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