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300 साल पुरानी क़ुरान आयी सामने: दुनिया भर के मुसलमानों की सबसे पवित्र किताब कुरान है। मुसलमान अदबो अहतराम के साथ इसे कु’रआन श’रीफ़ या कु’रआन पाक भी कहते है। कुरआन पा’क को किताबुल्लाह भी कहा जाता है जिसका मतलब होता है अल्लाह की किताब। कु’रआन पाक अल्लाह के आखिर नबी मु’हम्मद स० पर उ’तारा गया था। दरअस्ल आसमान से एक फरिशते जिबराईल अ० खुदा का पैगाम ( वही) लेकर मुहम्मद स० के पास आते थे। उन्हीं पैगामात का संकलन है कु’रआन पाक।

कु’रआन शरी’फ़ के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि इसके वजूद में आने से लेकर आज तक इसके एक भी हर्फ़ में किसी भी तरह का बदलाव नहीं आया है। मु’सलमानों का अक़ीदा यह है कि क़यामत तक कुरआन मे कोई बदलाव मुमकिन नहीं है। इसकी वजह यह है कि कुरआन की हि’फ़ाज़त की ज़िम्मेदारी ख़ुद खुदा ने ले रखी है । इंसानी ज़हन के लिए यह एक चमत्कार ही है कि चौदह सौ साल गुज़र जाने के बाद भी आज तक इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।

300 साल पुरानी क़ुरान –

हाल ही मे सोशल मीडिया पर कुरआन पाक से संबंधित एक वीडियो सामने आया है जिसमें लगभग तीन सौ साल पुराने कुरआन के नुस्खे को दिखाया गया है। दरअसल यह क़ुरआन का अंग्रेजी मे किया गया अनुवाद है। बताया जा रहा है कि यह अनुवाद 1734 में इंग्लैंड में किया गया था। इस वीडियो मे देखा जा सकता है कि जब इसके पन्नों को पलटते हैं तो बीच में काबा और मक्का की तस्वीर कागज़ के किनारों पर उभरती है जो बहुत ख़ूबसूरत लगती है।

इसके किनारे सोने से बने हुए मालूम पड़ते हैं। आपको बता दें कि मूल रूप से कुरआन अरबी भाषा में है। लेकिन दूनिया भर के आलिमों ने इसका तर्जुमा किया है ।ताकि लोग कुरआन मे दिये गये अल्लाह के पैगाम को समझ सकें और उस पर अमल कर सकें। उल्लेखनीय है कि दुनिया की लगभग हर ज़बान मे कुरआन का अनुवाद मौजूद है।

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