अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड ने शुक्रवार को कहा कि मध्य पूर्व में अमेरिका का “रेजीम चेंज और नेशन बिल्डिंग” का दौर अब समाप्त हो चुका है। उन्होंने ज़ोर दिया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब लोकतंत्र थोपने या सैन्य हस्तक्षेप के बजाय आर्थिक समृद्धि और क्षेत्रीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
गैबार्ड बहरीन में आयोजित मनामा डायलॉग—जो इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर सिक्योरिटी स्टडीज़ (IISS) का वार्षिक सुरक्षा सम्मेलन है—में बोल रही थीं। उनके बयान राष्ट्रपति ट्रंप की इसी वर्ष की मध्य पूर्व यात्रा के दौरान दिए गए बयानों की पुनर्पुष्टि करते हैं।
उन्होंने कहा, “यह एक ‘वन-साइज़-फिट्स-ऑल’ नीति थी—जिसमें शासन परिवर्तन, विदेशी देशों पर हमारा सिस्टम थोपना और उन संघर्षों में हस्तक्षेप करना शामिल था जिन्हें हम पूरी तरह समझ भी नहीं पाए। नतीजा यह हुआ कि हमने अरबों डॉलर खर्च किए, असंख्य जानें गंवाईं और अंततः मित्रों से ज़्यादा शत्रु बनाए।”
गैबार्ड का यह आकलन ट्रंप की उस सोच से मेल खाता है जिसमें उन्होंने 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद शुरू हुई लंबी युद्ध नीति की आलोचना की थी। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने अफगानिस्तान से वापसी का समझौता किया था, जो 2021 में बाइडन प्रशासन के दौरान अराजक परिस्थितियों में पूरा हुआ। वहीं, उन्होंने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शराअ का समर्थन जताया है।
गैबार्ड ने यह भी स्वीकार किया कि ग़ाज़ा में संघर्षविराम नाज़ुक स्थिति में है और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर भी चिंताएं बनी हुई हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने हाल ही में ईरान की परमाणु साइटों पर फिर से गतिविधि दर्ज की है।
उन्होंने कहा, “आगे की राह आसान नहीं होगी, लेकिन राष्ट्रपति इस दिशा में पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।” गैबार्ड इस सम्मेलन में तब शामिल हुईं जब अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप (शटडाउन) की स्थिति बनी हुई है।