Friday

14-03-2025 Vol 19

वफ़ा की पहचान तो लोग औरतों में ढूढते हैं, लेकिन मर्दों की वफ़ा का पता उस वक़्त चलता है जब उसकी…

अगर औरत गैरत के नाम पर क़त्ल करती तो आज मर्द सिर्फ बायलॉजी की किताबों में मिलते, जिन्होंने आपको छोड़ना होता है वह दिन या रात नहीं देखते और जिन्होंने निभाना होता है फिर वह हालात नहीं देखते, आज की औरत को कुर्बानी देना होगा अपने नींद की, अपनी शॉपिंग कि, अपने पार्लर की, और हर उस चीज की जिसकी वजह से अपनी औलाद की तरबियत में कमी कर रही है तब जाकर हमारी आने वाली नस्लें अल्लाह की चुनी हुई नस्ले तैयार होगी।

लोग यह नहीं जानते कि कयामत वाले दिन उनके साथ क्या होगा लेकिन यह जरूर जानते हैं कि दोसरो के साथ क्या होगा, तुम जो देते हो वह तुम नहीं देते तुम्हें तो देने की तौफीक भी तुम्हें देने वाला देता है, मर्द की वफा का पता ही औरत की बीमारी में चलता है कि सिक्का खोटा है या खरा, इसी तरह औरत की दिलदारी मर्द की बेरोजगारी के वक्त पता चलती है की वो कागज़ी हमसफर है या वाकई शरीके हयात।

मर्द को औरत के किरदार की जितनी फिक्र होती है इतनी फिकर अगर अपने किरदार की करें तो कितनी औरतें बाद किरदार कहलाने से बच जाएं, वह औरत कभी भी अपने पति के दिल पर राज नहीं कर सकती जिसे बात बात पर पति से लड़ने और बद ज़ाबानी की आदत हो, एक बेटी के लिए बहुत फक्र की बात होती है जब कोई कहता है यह तो बिल्कुल अपने बाप पर गई है।

गुस्से के वक्त बर्दाश्त का एक लम्हा तुम्हें हजार दफा शर्मिंदा होने से बचा सकता है, वो अपनी बहन को पर्दे की फजीलत बयान करते हुए महबूबा को मैसेज कर रहा था तुम खुले बालों में कमाल लगती हो, वक्त एक ऐसा मरहम है जो तुम्हारे जख्मों की तकलीफ को कम करता है खतम नहीं करता वह तो तुम्हें खुद करना है।

अक्सर जिंदगी हमें उन्हीं लोगों के हाथों तोड़ती है जिन्होंने हम अपना मजबूत सहारा समझते हैं, दिल बड़ा करो बातें तो हर कोई बड़ी करता है, छोटे इंसान की ऊंची आवाज सच्चे इंसान को खामोश करा देती है लेकिन सच्चे इंसान की ख़ामोशी छोटे इंसान की बुनियाद हिला देती है।

News Desk

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