Fri. Sep 6th, 2024
Doston Ke Liye Islami Hadees राज़ जिसका जवाब नबी ने दिया Nabi ka paigam Allah Ki Nematbharatduniya.org

Nabi ka paigam अस्सलाम ओ अलैकुम दोस्तों, इसके पहले हम आज की बात शुरू करें हम एक ज़रूरी बात यहाँ आप सभी से कहना चाहेंगे. दोस्तों, इस समय सर्दी का मौसम है और हम सभी जानते हैं कि सर्दी में अगर इसके मुताबिक़ कपड़े न हों तो ज़िन्दगी मुश्किल हो जाती है तो हम आपसे गुजारिश करेंगे कि अगर आपके आसपास कोई ज़रूरतमंद नज़र आये तो उसकी मदद करें. उसे गर्म कपड़े मुहैया करा दें. इस तरह की मदद करते वक़्त आपको ये भी देखने की ज़रूरत नहीं कि ज़रूरतमंद किस धर्म का या जाति का है, बिना किसी भेदभाव के मदद करिए. अल्लाह बहुत बड़ा है.

1) हज़रत औफ़ बिन मालिक रज़ि अ० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह स०अ० ने एक बार इरशाद फ़रमाया कि अल्लाह तआला की तरफ् से एक फ़रिश्ता मेरे पास आया और उसने मुझे ( अल्लाह तआला की तरफ़ से ) दो बातों मे से एक का इख्तियार दिया , या तो अल्लाह तआला मेरी आधी उम्मत को जन्नत मे दाखिल फ़रमा दे या ( सबके लिए ) मुझे शफ़ाअत करने का हक़ दे दें तो मैने हक़े शफ़ाअत को इख्तियार कर लिया ( ताकि सारे मुसलमान फ़ायदा उठा सकें ,कोई महरुम न रहे ) । चुनाँचे मेरी शफ़ाअत हर उस शख़्स के लिए होगी जो इस हाल में म-रे कि वह अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करता हो ।[ हवाला : तरमिज़ी शरीफ़]

2) हज़रत अनस रज़ि० अ० फ़रमाते हैं कि रसूल अल्लाह स० अ० ने इरशाद फ़रमाया कि गुनाहे कबीरा करने वालों के हक़ मे मेरी शफ़ाअत सिर्फ मेरी उम्मत के लोगों के लिए मख़सूस होगी। ( दूसरी उम्मत के लोगों के लिए नहीं होगी ) [हवाला: तरमिज़ी शरीफ़] 3) हज़रत इमरान बिन हुसैन रज़ि० अ० रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह स० अ० ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया कि लोगों की एक जमाअत जिन का लक़ब जहन्नमी होगा ,हज़रत मुहम्मद स० अ० की शफ़ाअत पर दौज़ख से निकल कर जन्नत मे दाखिल होंगे। [हवाला: बुखारी शरीफ] Nabi ka paigam

4) हज़रत अबू सईद रज़ि० अ० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह स० अ० ने इरशाद फ़रमाया है कि मेरी उम्मत मे बा’ज़ लोग ऐसे ह़ोंगे जो क़ौमों ( दूसरी) की शफ़ाअत करेंगे। यानी उनका मक़ाम यह होगा कि अल्लाह तआला उनको क़ोमों की शफ़ाअत की इजाज़त देंगे।बा’ज़ वह होंगे जो क़बीले की शफाअत करेंगे।बा’ज़ वह होंगे जो उस़बा की शफ़ाअत करेंगे। ( अल्लाह तआला उन सब की सिफारिशों को कुबूल फ़रमायेंगे) यहाँ तक कि वह सब जन्नत मे पहुँच जायेंगे।[ हवाला : तरमिज़ी शरीफ़] नोट: दस से चालीस तक की तादाद वाली जमाअत को उस़बा या कुन्बा कहते हैं।

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