अली इब्ने अबु तालिब की पैदाइश 17 मार्च 600 (13 रजब 24 हिजरी पूर्व) को अबू तालिब और फातिमा बिन असद से मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा के अन्दर हुइ थी.जहां वे तीन दिनों तक अपनी मां के साथ रहे.आप पैगम्बर मुहम्मद (स.) के चचाजाद भाई और दामाद थे और उनका मशहूर नाम हज़रत अली है.वे मुसलमानों के खलीफा के रूप में जाने जाते हैं.उन्होंने 656 से 661 तक राशिदून ख़िलाफ़त के चौथे ख़लीफ़ा के रूप में शासन किया, और शिया इस्लाम के अनुसार वे 632 से 661 तक पहले इमाम थे.

इसके अतिरिक्‍त उन्‍हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है.उन्‍होंने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुँचाए थे.
हजरत अली मुस्लिम समुदाय द्वारा लड़ी लगभग सभी लड़ाई में हिस्सा लिया.मदीना में जाने के बाद उन्होंने मुहम्मद (स.)की बेटी फातिमा (रजि.) से शादी किया.खलीफ़ा उसमान इब्न अफ़ान की कत्ल होने के बाद,656 में मुहम्मद (स.) के साथी (सहाबा) ने उन्हें खलीफा नियुक्त किया था.

HAZRAT ALI

अली के पिता,अबू तालिब,शक्तिशाली कुरैशी जनजाति की एक महत्वपूर्ण शाखा बनू हाशिम के काबा के संरक्षक थे.वह मुहम्मद (स.) के चाचा भी थे.हजरत अली की मां फातिमा बिन असद भी बानू हाशिम से संबंधित थीं जो पैगंबर इब्राहिम के वंशज थे.हजरत अली के खिलाफत के दौर में मुस्लिम दुनिया में गृह युद्द भी हुआ लेकिन हजरत अली ने हिकमत से सभी तरह के मामलो पर सफलता पाई.

एक रिवायत के अनुसार,हजरत मुहम्मद (स.) वो पहले थे जिसने अली को देखा क्योंकि उन्होंने अपने हाथों में नवजात शिशु को लिए थे.मुहम्मद (स.) ने उन्हें अली नाम दिया जिसका अर्थ है “महान”,हजरत अली के माता-पिता के साथ मुहम्मद (स.) से गहरा रिश्ता था.मुस्लिम इतिहास में सबसे कठिन दौरों में से एक अली की खिलाफत का दौर था उन्होंने 656 और 661 के बीच खिलाफत की.

उन्होंने कई फ़ितनो का सामना किया.लेकिन तमाम फ़ितनो पर भी हजरत अली लोगों को शांति और अमन का पैगाम दिया करते थे.वह आवाम को बताया करते थे कि इस्लाम कत्ल और भेदभाव करने के पक्ष में नहीं,अपने शत्रु से प्रेम करो इससे वो एक दिन मित्र बन जाएगा.उनका कहना है कि अत्याचार करने वाला ही नहीं उसमें सहायता करने वाला और अत्याचार से खुश होने वाला सभी अत्याचारी ही हैं.

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हजरत अली को पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है,क्योंकि वह आम लोगों पर विज्ञान से जुड़ी जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से पहुंचाया करते थे.वह खाने में हमेशा जौ की रोटी और नमक या फिर दूध खाते थे.नमाज़ के दौरान हजरत अली की हत्या की गई थी,बावजूद उसके उन्होंने अपने कातिल को माफ करने की बात कही.

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