टोक्यो।
पिछले कुछ वर्षों में जापान में विदेशी सैलानियों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसी के साथ एक नई बहस भी छिड़ गई है — क्या जापान में ‘टिप देने’ की पश्चिमी आदत अपनाई जानी चाहिए या नहीं?
जापान में पारंपरिक रूप से टिप देने की कोई संस्कृति नहीं रही है। यहाँ यह माना जाता है कि उत्कृष्ट सेवा देना किसी का “कर्तव्य” है, न कि अतिरिक्त पैसों के लालच में किया गया काम। लेकिन यूरोप और अमेरिका से आने वाले पर्यटक अपनी टिप देने की आदत के कारण कई जापानियों को असहज कर रहे हैं।
साल 2025 की पहली छमाही में ही 2.15 करोड़ से अधिक विदेशी पर्यटक जापान पहुंचे — यह अब तक का रिकॉर्ड है। कमजोर येन और सस्ती यात्रा लागत के कारण अनुमान है कि यह संख्या साल के अंत तक 4 करोड़ के आंकड़े को पार कर सकती है।
हालांकि, जापानी समाज में पैसे से जुड़े कई अनकहे नियम हैं। जैसे—भुगतान हमेशा एक ट्रे पर रखा जाता है, हाथ से नहीं दिया जाता। नकद उपहार विशेष लिफाफे में दिया जाता है। ऐसे में ‘टिप देना’ जापानी शिष्टाचार से मेल नहीं खाता।
टोक्यो के मशहूर इजाकाया रेस्तरां “शिन हिनोमोटो” के ब्रिटिश मालिक एंडी लंट बताते हैं,
“मैं ग्राहकों को पहले ही कह देता हूं कि जापान में टिप देने की परंपरा नहीं है। इससे कोई असहजता नहीं रहती। हमारे कर्मचारी मानते हैं कि अच्छा काम करने के लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत नहीं है।”
कई बार जब ग्राहक मेज पर पैसे छोड़ जाते हैं, तो कर्मचारी उन्हें वापस लौटाने भी जाते हैं।
हालांकि हाल के दिनों में कुछ कैफे और रेस्तरां ने काउंटर के पास ‘टिप जार’ रखना शुरू किया है, लेकिन यह बहुत ही सीमित जगहों पर देखने को मिलता है।
‘ग्यूकात्सु मोटोमुरा’ नामक रेस्तरां में जब टिप बॉक्स की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो ऑनलाइन बहस छिड़ गई। एक यूज़र ने लिखा,
“टिपिंग कल्चर खराब है। इससे कर्मचारियों की सोच बदल जाती है और वे यह मानने लगते हैं कि उन्हें अतिरिक्त पैसा मिलना ही चाहिए।”
रेस्तरां मालिक मारिको शिगेनो कहती हैं,
“अच्छी सेवा देना मेरा कर्तव्य है। इसके लिए मुझे अलग से पैसा नहीं चाहिए।”

वहीं, योकोहामा के वाइन बार मालिक टाकू नाकामुरा का मानना है कि टिप देना कई बार सामाजिक असमानता को भी दर्शाता है —
“यह ऐसा लगता है जैसे कोई अमीर व्यक्ति यह दिखाना चाहता है कि उसके पास ज्यादा पैसा है।”
ट्रैवल मार्केटिंग एनालिस्ट ऐश्ले हार्वी का कहना है कि हालांकि कुछ विदेशी छोटी-छोटी टिप्स देते हैं, लेकिन यह जापानी समाज में कभी आम नहीं हो पाएगा।
“ज्यादातर पर्यटक एशिया के देशों जैसे चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान से आते हैं, जहाँ टिप देने की परंपरा नहीं है,” उन्होंने बताया।
अभी के हालात को देखकर लगता है कि जापान में “टिपिंग कल्चर” को आम होना मुश्किल है। यहाँ सेवा को ‘कर्तव्य’ माना जाता है, न कि ‘कृतज्ञता के बदले में दिया जाने वाला इनाम’।