अस्सलाम ओ अलैकुम दोस्तों, हम अक्सर अपनी किस्मत को लेकर सोचते रहते हैं. कई बार हम सोचते हैं कि जब हम सब कुछ ठीक ही कर रहे हैं तो भी ऐसा क्यूँ है कि हमें अच्छे काम का फल नहीं मिल रहा है. इस बारे में हम आज आपको एक वाकया सुनाने जा रहे हैं. ये एक ऐसा वाकया है जो हर मुसलमान को सुनना चाहिए. एक बार हज़रत अली की की ख़िदमत में एक आदमी आया और कहने लगा कि हज़रत आप मुझे बताएँ कि नसीब यानी की क़िस्मत को कैसे बदला जा सकता है.इसका सबसे आसान अमल क्या है?
हज़रत अली ने उसकी बात ध्यान से सुनी और उसके बाद फ़रमाया कि ऐ शख्स ये बात हमेशा से याद रखना कि किस्मत को बदलना खुदा ने हमेशा से इंसानों के अख्तियार में रखा है. इस पर उस शख्स ने दुबारा हज़रत अली से पूछा. उस शख्स ने फिर कहा कि या अली यह कैसे हो सकता है? इसके बाद हज़रत अली ने आलुमुल निषाद के बारे में उस शख्स को बताया जिसे अल्लाह ने बनाया है…जो इंसान ज़मीन पर चलते हैं, अल्लाह ने उस इंसान के लिए एक फ़रिश्ते को मुन्तखद किया. इसके साथ ही अल्लाह ने उस को यह ज़िम्मेदारी दी है कि वह ज़मीन पर रहने वाले इंसानों के गौर ए फ़िक्र के साथ देखे.जो इंसान अल्लाह की मख्लूख के लिए गलत सोचे तो वही खराबियां जो वह दूसरो के बारे में सोचे तो वह उसके आने वाले वक़्त में लिख दे.
इसका अर्थ अगर हम ध्यान देकर समझें तो ये हुआ कि जो इंसान किसी दूसरे इंसान के लिए जैसा सोचेगा उसके नसीब में वैसा ही होगा. इसी हिसाब से अगर कोई शख्स किसी के लिए ग़लत सोचेगा तो उसके साथ भी ग़लत ही होगा और अगर कोई किसी का भला सोचेगा तो उसके साथ भी भला ही होगा. हज़रत अली ने फ़रमाया कि ऐ शख्स याद रखना कि अल्लाह कभी किसी का बुरा नहीं करता है.. इंसान की बुरी सोच इंसान के मुकद्दर को बुरा बना देती हैं.