भारत में बढ़ रहे बच्चों के खिलाफ अपराध: एनसीआरबी की रिपोर्ट ने खोली चौंकाने वाली हकीकत

नई दिल्ली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023…
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में बच्चों के खिलाफ अपराधों के 1,77,335 मामले दर्ज किए गए — जो 2022 की तुलना में करीब 9 प्रतिशत अधिक हैं। पिछले साल यह संख्या 1,62,449 थी।

सबसे अधिक मामले अपहरण और पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत दर्ज हुए हैं।
• बच्चों के खिलाफ कुल अपराधों में 45.05% मामले अपहरण से जुड़े हैं।
• जबकि 38.17% मामले पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज किए गए।

इन अपराधों में ज्यादातर मामलों में आरोपी बच्चे के जानने-पहचानने वाले ही निकले।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र इस मामले में शीर्ष पर रहे, जबकि उत्तर-पूर्वी राज्यों में दर कम रही।

🔹 अपहरण के मामलों में उछाल

2023 में 82,106 बच्चे अपहरण से प्रभावित हुए।
रिपोर्ट के अनुसार,
• 16,737 लड़कियों और 129 लड़कों का जबरन विवाह के लिए अपहरण हुआ।
• 1,858 मामले मानव तस्करी और खरीद-फरोख्त से जुड़े पाए गए।

विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती 24 घंटे किसी भी बच्चे की तलाश में बेहद अहम होते हैं। इसके बाद बच्चे का सुरक्षित मिलना कठिन हो जाता है। कई बार उन्हें भीख मंगवाने, अपराधी गिरोहों में शामिल करने या जबरन वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है।

🔹 POCSO अधिनियम के तहत बढ़ते मामले

2023 में पॉक्सो के तहत 67,694 मामले दर्ज हुए, जिनमें 98% पीड़ित लड़कियां थीं।
• 39,076 मामलों में आरोपी परिचित व्यक्ति था।
• इनमें से 3,224 मामलों में आरोपी परिवार का सदस्य निकला।
• 21,000 मामलों में आरोपी दोस्त या ऑनलाइन साथी था, जिसने शादी का झांसा देकर अपराध किया।
सिर्फ 1,358 मामलों में आरोपी अज्ञात व्यक्ति था।

साल 2012 में बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा देने के लिए पॉक्सो अधिनियम लागू किया गया था। इसके तहत विशेष अदालतों की स्थापना की गई ताकि मामलों का तेज़ और प्रभावी निपटारा किया जा सके।

🔹 लड़कियों की स्थिति ज्यादा संवेदनशील

विशेषज्ञों के अनुसार, गरीबी, बेरोजगारी, घरेलू हिंसा और विस्थापन बच्चों को सबसे ज्यादा असुरक्षित बना रहे हैं। यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में 12 करोड़ से अधिक नाबालिग लड़कियों का किसी न किसी रूप में यौन शोषण हुआ है — जिनमें से 90% मामलों में आरोपी कोई परिचित होता है।

कोविड-19 महामारी के बाद डिजिटल माध्यमों का बढ़ता इस्तेमाल बच्चों के लिए नई चुनौती बन गया है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता बच्चों को मोबाइल पर छोड़ देते हैं, जिससे वे ऑनलाइन शोषण और ग़लत रिश्तों के जाल में फंस जाते हैं।

📌 मुख्य बिंदु
• भारत में बच्चों के खिलाफ अपराध 9% बढ़े।
• सबसे ज़्यादा मामले अपहरण और पॉक्सो से जुड़े।
• आरोपी ज़्यादातर जानने-पहचानने वाले।
• यूपी, एमपी और महाराष्ट्र शीर्ष पर।
• विशेषज्ञों ने कहा — परिवार और समाज को बच्चों की सुरक्षा को लेकर अधिक सजग होना होगा।

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